UP News: आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद मामले के बाद अब शुद्धिकरण और प्रसाद के नए स्वरूप को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. इसी बीच एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान अखिल भारतीय संत समिति ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद विवाद को लेकर एक बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि जब एक ब्रांड द्वारा 50 सालों से प्रतिदिन 1500 किलो घी मंदिर को प्रदान किया जा रहा था तो पिछली सरकार द्वारा आखिर किन कारणों से दूसरी कंपनी द्वारा प्रसाद से जुड़ी सामग्री का लेनदेन तय हुआ, जिसकी क्षमता प्रतिदिन 50 किलो की भी नहीं थी.


अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बातचीत के दौरान बताया कि आंध्र प्रदेश के पवित्र धार्मिक स्थल श्री तिरुपति बालाजी मंदिर पर जो कुछ भी हुआ है वह सभी सनातन धर्मियों को आक्रोशित और आहत करने वाला है. दरअसल सच्चाई तो यह है कि हिंदुओं के नाम पर आधारित कुछ विशेष संप्रदाय के लोगों ने पवित्रता को नष्ट करने का षड्यंत्र रचा.  और इसके लिए वहां की पिछली सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है. 


उन्होंने कहा कि जब आंध्र प्रदेश के श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में पिछले 50 वर्षों से कर्नाटक से नंदिनी नामक एक ब्रांड से नियमित तौर पर 1500 किलो घी सप्लाई किया जाता था. यह राज्य की डेयरी थी, सरकारी समिति थी जिसे कर्नाटक के किसानों द्वारा बड़े सामंजस और लागत मूल्य के आधार पर प्रदान किया जाता था. तो आखिर में किन आधार पर पिछली सरकार द्वारा उस टेंडर को रद्द करके एक ऐसी कंपनी को जिम्मा दिया गया जिसकी क्षमता प्रतिदिन 50 किलो शुद्ध देसी घी की भी नहीं थी. सबसे हैरानी की बात की उस कंपनी को ठेका दे दिया गया जिसके अधिकतम निदेशक और सदस्य दूसरे संप्रदाय से हो. जब यह सवाल रेड्डी सरकार से पूछा जाता है तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं रहता.


चंद्रबाबू नायडू का आभार जिन्होंने यह मामला देश के समक्ष रखा 


संत समिति ने मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि हम इस मामले पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का आभार व्यक्त करना चाहेंगे जिन्होंने पूरी निष्पक्षता के साथ इस विषय को देश के समक्ष रखा और रिपोर्ट भी सार्वजनिक की. यह विषय करोड़ों सनातनियों के आस्था का है. अनजाने में हुई भूल को तो भगवान माफ कर देते हैं लेकिन जो लोग भी जानबूझकर इसमें जिम्मेदार हैं उन्हें अब भगवान भी माफ नहीं करेगा.


सरकार के समक्ष प्रसाद के नए  स्वरूप का खाखा 


अखिल भारतीय संत समिति, काशी विद्वत परिषद, अखाड़ा परिषद और साधु संतों के बीच अब देश के धार्मिक स्थलों में प्रसाद के नए स्वरूप को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. प्रयागराज के महाकुंभ में 40 करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान है. ऐसे में संत समिति की तरफ से ऐलान किया गया है कि कुंभ के पहले ही संतों की अलग-अलग बैठक में यह विचार विमर्श करके सरकार के समक्ष प्रसाद के नए स्वरूप संबंधित गाइडलाइन का खाका रखा जाएगा. हमें पूरा विश्वास है कि इस पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा.


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