Tirupati Temple Prasad: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आई है. जिसके बाद प्रसाद पर विवाद हो गया है. इस मामले पर संत समाज और हिन्दुओं में आक्रोश देखने को मिल रहा है. लेकिन, ये पहली बार नहीं है जब तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर सवाल उठे हों. चार दशक पहले भी इसे लेकर काफी विवाद हो चुका है. जिसके बाद मंदिर के प्रसाद को वैज्ञानिक पद्धति से बनाने का दावा किया गया था. 


दरअसल लखनऊ के रहने वाले एक रिटायर्ट अधिकारी ने तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को लेकर सवाल उठाए थे. हिन्दी अखबार अमर उजाला के अनुसार इस अधिकारी ने बताया था कि उन्होंने मंदिर से प्रसाद भंडार से लड्डू ख़रीदे थे. जब  वो प्रसाद को घर लाए तो उसमें फफूंदी और एक कील निकली थी.


लखनऊ के अधिकारी ने की थी शिकायत
इस खबर को अखबार ने प्रमुखता से छापा था, जिसके बाद हंगामा मच गया था. उस वक्त आंध्र प्रदेश की विधानसभा में भी इस मामले पर जमकर हंगामा देखने को मिला था. जिसेक बाद इन लड्डुओं को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घी पी आंध्र विधानसभा में बहस हुई थी. जिसके बाद ये फैसला लिया गया कि अब से प्रसाद का निर्माण वैज्ञानिक तरीके से कराया जाएगा.


इस मामले की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि मंदिर के प्रसाद के लिए तब आंध्र प्रदेश दुग्ध महासंघ से 42 रुपये प्रति किलो खरीदा जाता था. इस विवाद के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ने लड्डुओं से लिए आंध्र दुग्ध महासंघ से ही घी खरीदने का आदेश दिया. हालांकि मंदिर की ओर से 18 कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया था. इसके बाद भी लड्डुओं को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है.


इस मामले अब सियासत भी गर्मा गई है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली YSRCP सरकार पर प्रसाद में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था. लैब रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि होने का दावा किया गया है. वहीं बीजेपी ने इसे हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है तो वहीं विपक्षी दल ने इन आरोपों का खंडन किया है.  


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