एंटरटेनमेंट डेस्क। हिन्दी सिनेमा के सुपर स्टार, फिल्मों के शहंशाह, एंग्री यंगमैन और बिग बी के नाम से जाने वाले अमिताभ बच्चन एक ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आपको बता दे, लंदन के म्यूजियम मैडम तुसाद म्यूजियम में सबसे पहले अमिताभ बच्चन का मोम का पुतवा बना। अमिताभ अपने आप में एक ऐसी शख्सियत है, जिन्हे हर वर्ग का आदमी चाहे बच्चा हो या बुढा सभी इनको बेहद पसंद करते है। इनकी अदा, इनकी अवाज, इनकी एक्टिंग का तो हर कोई दिवाना हैं।



अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर सन 1942 को इलाहाबाद में हुआ था। बच्चन एक कवि के बेटे हैं इनके पिता एक जाने-माने कवि थें। इनका असली नाम वैसे अमिताभ श्रीवास्तव था, लेकिन इनके पिता ने श्रीवास्तव सर नाम को बदलकर बच्चन रख दिया था। अमिताभ बच्चन के पिता श्री हरिवंशराय की मृत्यु साल 2003 में हो गयी थीं और इनकी माता की मृत्यु साल 2007 को हो गई थीं।



अमिताभ बच्चन जब फिल्मों में आये, तो इनकी लम्बी पतली टांगें, धंसी हुई आखें देखकर इन्हें फिल्मों के नाकाबिल समझकर अपमानित किया गया जाता था। किसी ने इन्हें ताड़ का पेड़ और बोतल कहकर इनके साथ काम करने से भी मना कर दिया था। साल 1969 में अमिताभ बच्चन को निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास ने अपनी फिल्म ”सात हिन्दुस्तानी” में पहला ब्रेक दिया, लेकिन फिल्म कुछ खास कमाल नही कर पाई।



अमिताभ बच्चन एक जाने माने अभिनेता हैं। जिन्होंने अपनी जिन्दगी में बहुत मेहनत की हैं। आज वो अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर एक एसे मुकाम पर हैं। जहां सारे अभिनेता उस मुकाम तक पहुचने का सपना देखते हैं। अमिताभ बच्चन फिल्मो में आने से पहले एक शिपिंग कंपनी में नौकरी करते थे।अमिताभ बच्चन को 800 रुपया महिना मिलता था। अमिताभ बच्चन की फिल्मो में शुरुआत वौइस् नैरेटर के तौर पर फिल्म “भुवन शोम” से हुई थी। अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने के मन बना रहे थे। तभी फिल्म जंजीर उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई और फिर इस फिल्म के बाद उन्होने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखे। इस फिल्म के लिए बच्चन को सहायक फिल्मफेयर का अवार्ड भी मिला था।



साल 1971 में अमिताभ बच्चन ने फिल्म परवाना में काम किया। इस फिल्म में बच्चन ने खलनायक की भूमिका निभाई थीं। इसके बाद बॉम्बे टू गोवा में काम किया। 1972 में इसमें भी लीड रोल नहीं मिल पाया। उस समय यह बच्चन के लिए हिंदी सिनेमा में एक संघर्ष था, उस समय राजेश खन्ना काफी लोकप्रिय थे। अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक कहा जाता हैं। हिंदी फिल्मो के सबसे बड़े सुपर स्टार माने जाते हैं। अमिताभ बच्चन को पहचान फिल्म जंजीर से मिली थी। ये फिल्म पहले राजकुमार को ऑफर की गई थी। राजकुमार ने इस फिल्म को करने से मना कर दिया और कहा की डायरेक्टर के बालों के तेल की खुशबू अच्छी नहीं हैं।



अमिताभ बच्चन की फिल्‍में अच्‍छा बिजनेस कर रही थी। उनका लाइफ का हर कुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक 26 जुलाई 1982 को कुली फिल्‍म की शूटिंग के दौरान उन्‍हें गंभीर चोट लगी गई। आपको बता दें, फिल्‍म के एक एक्‍शन सीन में पुनीत इस्‍सर को अमिताभ को मुक्‍का मारना था और उन्‍हें मेज से टकराकर जमीन पर गिरना था। लेकिन जैसे ही वो मेज की तरफ कूदे, मेज का कोना उनके आंतों में लग गया। जिसकी वजह से उनका काफी खून बह गया और स्‍थिति इतनी गंभीर हो गई कि ऐसा लगने लगा कि वो मौत के करीब हैं लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से वे ठीक हो गए।



अमिताभ बच्चन ने फिल्मों के अलावा टीवी पर कौन बनेगा करोड़पति, बिग बॉस जैसे हिट सीरियल भी किये। अमिताभ जी हमेशा अपनी जनता से जुड़े रहना पसंद करते है, वो हमेशा फेसबुक, ट्विटर और अपने ब्लॉग के द्वारा जनता से जुड़े रहते है। वही बिग बी 33 सालों से लगातर हर रविवार को जलसा के सामने हजारों लोगों की भीड़ से मिलते है। उनकी एक झलक पाने की लिए लाखों लोग इक्कठा होते है।



एक दिन की बात है, अमिताभ बच्चन पिता हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी के साथ दशद्वार में रहते थे। घर के नजदीक रानी बेतिया की एक कोठी थी। जिसका फाटक हमेशा बंद रहता था और एक दरबान वहां पहरा देता था। अमिताभ इस कोठी के अंदर जाना चाहते थे। एक दिन अपने दो दोस्तों को लेकर वो दरबान के पास पहुंचे और कोठी के अंदर जाने के लिए कहने लगे। दरबान ने कहा कि अगर वो उसे चवन्नी दे देते हैं तो वह कोठी में जाने की इजाजत दे देगा। काफी सोच-विचार के बाद अमिताभ घर गए और उन्होंने ड्रेसिंग टेबल की दराज खोली, जिसमें उनकी मां तेजी खुल्ले पैसे डाल दिया करती थीं और चवन्नी चुराकर दरबान को दे दी। दरबान ने चवन्नी ले तो ली, लेकिन कोठी में भेजने के बजाय डांट-डपटकर उन्हें वहां भगा दिया।



अमिताभ बच्चन जब घर पहुंचे तो तेजी ने उनके गाल पर जोरदार थप्पड़ रसीद दिया। क्योंकि तेजी को पता चल चुका था कि अमिताभ जी ने दराज से चवन्नी चुराई है। बाद में पिता ने अमित से इस बारे में पूछा तो उन्होंने सब सच-सच बता दिया। पिता ने उन्हें समझाया कि चोरी करनी अच्छी बात नहीं है। अमिताभ जी ने इस बात पर गांठ बांध ली। संघर्ष के दिनों में अमिताभ को मॉडलिंग के ऑफर मिल रहे थे। लेकिन इस काम में उनकी कोई रुचि नहीं थी। जलाल आगा ने अमिताभ जी को वर्ली के एक छोटे से रिकॉर्डिंग सेंटर में ले जाते थे और एक-दो मिनट के विज्ञापनों में वो अमिताभ की आवाज का उपयोग करते थे। आपको बता दें, हर प्रोग्राम के लिए अमिताभ जी को पचास रुपए मिलते थे।



1978 में ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पुल पर फिल्म 'गंगा की सौगंध' की शूटिंग चल रही थी। शूट के बाद अमिताभ बच्चन अपनी कार में बैठे और होटल लौटने लगे। वो कुछ दूर ही गए थे कि उनकी कार के आगे एक बंदर आ गया। बिग बी बाहर निकले और कार में पड़े हुए केले बंदर को खिलाने के लिए गए। एक लंगूर के बेहद करीब आ जाने के बाद भी बिग बी का ध्यान उस ओर नहीं गया। शायद उस लंगूर को ये बात बेहद बुरी लग गई कि बिग बी ने उसे इग्नोर कैसे किया। उसने बच्चन साहब के गाल पर थप्पड़ मार दिया। इसके बाद बिग बी घबरा गए। उन्होंने केले वहीं फेके और कार में बैठकर होटल की ओर रवाना हो गए।



1983 में रमेश बहल की फिल्म 'पुकार' का एक सीन अमिताभ बच्चन और रणधीर कपूर पर पिक्चराइज हो रहा था। जिस दिन यह सीन शूट होना था, उस दिन इत्तेफाक से रणधीर की छोटी बेटी करीना भी सेट पर मौजूद थीं। उस वक्त करीना 3 साल की थीं। अमिताभ ने रणधीर को घूसे मारना शुरू किया, बेबी करीना से बर्दाश्त नहीं हुआ। पापा को ऐसे पिटते देख करीना की आंखों में आंसू आ गए। फिर उसके बाद करीना गुस्से में अमिताभ की ओर आई और चलते टेक में ही अमिताभ की टांग कसकर पकड़ ली और अमिताभ को खींचने लगीं और जोर-जोर से कहने लगीं कि मेरे पापा को मत मारो। यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया।