एबीपी गंगा, जयपुर पूरी दुनिया में अपने राजसी ठाठ-बाट के लिए फेमस है। रजवाड़ों का ये शहर शान के साथ आज भी दुनिया के लोगों के लिए फेवरिट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना हुआ है। गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर राजस्थान की राजधानी ही नहीं बल्कि ऐतीहासिक किलों, महलों रजवड़ों की बरसों पुरानी वीरगाथा का गढ़ भी है। तो चलिए हमारे साथ जयपुर के रंग-रंगीले रफर पर, जहां से लौटने का आपका मन नहीं करेगा।


आमेर किला


आमेर फोर्ट....आमेर फोर्ट को राजा मानसिंह ने बनवाया था...आमेर फोर्ट में आपको हिन्दू और राजपूत Elements की छाप मिलेगी...बहुत सारे बड़े-बड़े गेट या फिर कहें द्वारों को पार करने के बाद सामने ही आपको Mountain झील दिखेगी जो आमेर फोर्ट के आर्कषण को और बढ़ाती है...आमेर फोर्ट का निर्माण 1550 से 1614यानि 16वीं शताबदी में हो हुआ था। इसे किले का निर्माण राजा मानसिंह द्वारा करवाया गया था। आपको बता दें कि इस फोर्ट के 4 मुख्य अकर्षण है दीवाने-आम और दीवाने-खास। दीवाने खास उंचे आधिकारीयों और खास लोगों के लिए था। कभी इस किले में राजा अपनी रानियों के साथ यहां वक्त बिताया करते थे...भले ही आज वो वक्त नहीं है लेकिन यहां आने के बाद आप को भी रजवाड़े वाली फील तो मिल ही जाएगी।


नाहरगढ़ किला


अरावली पहाड़ियों के बीच बसे खूबसूरत जयपुर शहर में ओर और किला बेहद खास है। इस किले का नाम है नाहरगढ़ का किला। नाहरहढ़ फोर्ट का निर्माण 1734से 1868 तक हुआ, बताया जाता है कि राजकुमार नाहरसिंह के नाम पर इस किले का नाम नाहरगढ़ रखा गया था। राजकुमार की मौत जवानी में ही हो गई थी और कहा जाता है की उनकी आत्मा को शांती नहीं मिल रही थी, जिसके चलते दिन में किले का जो भी काम होता था वो रात में अपने आप टूट जाता था। नाहरगढ़ अरावली की पहाड़ियों से घिरा और खूबसूरत झील के सामने बना हुआ है। नाहरगढ़ फोर्ट में आप जयपुर wax museum or glass palace भी देख सकते है। यहां पर एक ऐतिहासिक बावड़ी भी है। इस फोर्ट की खास बात ये भी है कि यहां आने के बाद आप जयपुर के खूबसूरत नजारों को भी अपने कैमरों में कैद कर सकते हैं।


जयगढ़ किला


जयपुर को किलों का शहर कहना गलत नहीं होगा। यहां मौजूद जयगढ़ फोर्ट  की जिसे victory fort भी कहते हैं। आमेर किला और मावठा लेक की सुरक्षा के लिए बनाया गया था जयगढ़ फोर्ट बेहद शानदार है। जयगढ़ फोर्ट में रखी तोप यहां का सबसे special attraction है। पूरी दुनिया में फेमस इस तोप का निर्माण महाराजा जयसिंह के शासन काल सन् 1720 ईसवी में जयगढ़ के कारखाने में ही हुआ था


हाथी गांव


आपने गांव तो बहुत सारे देखे होंगे लेकिन क्या आपने हाथी गांव देखा है। तो चलिए हाथी गांव की सैर भी कर लेते हैं। इस गांव की खास बात ये है कि ये पूरा गांव हाथियों के लिए फेसम है। यहां इनके लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं। इस गांव में हाथियों की खास देखभाल भी की जाती है। साल 2010 में सरकार द्वारा हाथी गांव को बसाया गया था....इसका मूल कारण आमेर फोर्ट के आसपास के tourism को बढ़ावा देना और tourist के लिए इस्तमाल होने वाले हाथियों की रिहाइश का इंतज़ाम करना था....इस गांव में आने के बाद हाथियों के बारे में आप ढेर सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं और अगर आप नेचर फ्रेंडली हैं तो कहना ही क्या।


हवा महल


हवा महल तो गुलाबी नगर जयपुर की पहली पहचान है। शहर के बीचों-बीच बड़ी चौपर के पास स्थित हवा महल एक फेसम टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। हवा महल का निर्माण जयपुर के कवि राजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 ई. में करवाया था। यह इमारत पांच मंजिला है जो जयपुर के प्रसिद्ध जौहरी बाजार के पास स्थित है। हवा महल पूर्ण रूप से लाल और गुलाबी बलुआ पत्‍थर से बनी हुई है। हवा महल की डिजाइन, लाल चंद उस्‍ता ने बनाई थी जिसमें 950 से भी ज्‍यादा खिड़कियां है। इस महल का निर्माण विशेष रूप से महिलाओं के लिए करवाया गया था, ताकि वह जाली स्‍क्रीन के माध्‍यम से शाही जुलूस के दृश्‍यों का आनंद उठा सकें। इस इमारत में एक पुरातात्‍विक संग्रहालय भी मौजूद है।


कमक घाटी


जयपुर पिंक सिटी किलो के लिए ही नहीं बल्कि बागीचों भी फेमस है। कमक घाटी जयपुर का एक ऐसा ही फेमस बागीचा है जिसे देखने के लिए सैलानी दूर-दूर से यहां खिंचे चले आते हैं। इस बागीचे की सुंदरता को देखने और महसूस करने के लिए आपको को यहां आना पड़ेगा।


गलताजी मंदिर


जयपुर का गलता जी मंदिर, एक प्राचीन हिंदू तीर्थस्थल है, जो ख़ानिया -बालाजी राजस्थान के शहर में स्थित है। सवाई जय सिंह के सेवक दीवान राव कृपाराम ने 18 वीं सदी में गलता जी मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर के पीछे की कहानी यह है कि संत गालव ने यहाँ 100 वर्षो तक तपस्या की थी। गालव की तपस्या से खुश होकर, देवताओं ने आशीर्वाद के तौर पर उसे प्रचुर मात्रा में जल दिया। इस मंदिर में पवित्र कुंड है जहाँ तीर्थयात्री स्नान भी करते है। जयपुर के गहनों में से गलता जी मंदिर में प्राकृतिक ताज़े पानी के झरने और 7 पवित्र कुंडों या पानी के टैंकों का अद्भुत मिश्रण है। ‘गलता कुंड’, सबसे पवित्र माना गया है जो कभी सुखा नहीं पड़ता। ‘गौमुख’, नामक झरना जो गाय के मुख के आकार की चट्टान में से होकर निकलता है जिसका जल टैंको में आकर गिरता है। गलता मंदिर अरावली में स्थित है, इसलिए यह घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। इस ईमारत की दीवारों , छतों और खम्बो पर अद्भुत चित्रकारी की गयी है । इसके अलावा इसे ‘बंदरों के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है, हाल ही में नेशनल ज्योग्राफिक की बहु पुरस्कृत द्वारा मंकी थीव्स के विजेता घोषित किया गया है।


जंतर मंतर


जंतर मंतर जयपुर का एक इतिहासिक स्मारक है। राजस्थान में बहोत सी ऐतिहासिक धरोहर बनी है। जंतर मंतर का निर्माण राजपूत राजा सवाई जय सिंह ने किया था। इसका निर्माण कार्य 1738 में पूरा हुआ था। जंतर मंतर में दुनिया की सबसे बड़ी पत्थरो को दीवारघडी बनी हुई है और साथ ही यह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है। यह स्मारक जयपुर शहर के सिटी पैलेस और हवा महल के पास बना हुआ है। स्मारक में पीतल के यंत्र देखने लायक है और साथ ही इसके अंदर हिन्दू संस्कृत शब्दों की कलाकृतियां भी की गयी है। उन शब्दों का आप खुली आँखों से अवलोकन कर सकते हो। यह इतिहासिक स्मारक प्राचीन आर्किटेक्चरल कलाओ को दर्शाता है और उस समय की नयी-नयी संस्कृतीयो की जानकारी देता है और साथ ही 18 वी शताब्दी के लोगो की विचारधारा को दर्शाता है। बहुत से लोगो ने इसकी सुंदरता का अवलोकन भी किया है। स्मारक में तीन मुख्य खगोलीय तालमेल यंत्रणाये है – सीमा-चरमबिंदु स्थानिक यंत्रणा, भूमध्य यंत्रणा और सूर्यपथ यंत्रणा कपाला यंत्रप्रकार दो तरह की यंत्रणाओ में काम करता है और सीधे एक यंत्रणा से दूसरी यंत्रणा से तालमेल कराने में सहायक है


बापू बाज़ार


बापू बाजार जयपुर का सबसे पुराना और सबसे अच्छा बाजारों में से एक है। यहां पर राजस्थानी उत्पादकों को खरीदने के बहुत सारे विकल्प है आप जयपुर में घूमने के लिए आते हो तो आप यहां पर खरीदारी करके अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हो। यहां पर आप मोजड़ी जूते, ऊंट के चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प, वस्त्र, संगमरमर और बलुआ पत्थर की नक्काशी इस बाजार के ख़ास उत्पादकों में से एक है। यह बाजार जयपुर के दिल एमआई रोड पर स्थित है।


अल्बर्ट हॉल संग्रहालय


अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर, राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। संग्रहालय के निर्माण न्यू गेट के सामने रामनिवास गार्डन में स्थित है। यह भी राजस्थान के राज्य संग्रहालय के रूप में कार्य करता है और साथ ही सरकार के केन्द्रीय संग्रहालय कहा जाता है। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में पेंटिंग, कालीन, हाथी दांत, पत्थर, धातु की मूर्तियां, रंगीन क्रिस्टल का किया गया है। यह बहुत सारी कलाकृतियों का एक समृद्ध संग्रह है। अल्बर्ट हॉल की आधारशिला 6 फरवरी को साल 1876 में रखी गई थी, जब प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड जयपुर की यात्रा के दौरान आये थे। यह भवन उनके नाम पर ही बनवाया गया था। लेकिन अभी भी इसके निर्माण के उदेश्य पर एक अनिश्चितता है। यह अभी तक तय नही किया गया है कि इसका उपयोग कैसे किया जाये। महाराजा सवाई राम सिह ने संग्रहालय में टाउन हॉल का निर्माण करवाना चाहते थे। कुछ लोगो ने इसे सांस्कृतिक या शैक्षणिक में उपयोग के लिए सुझाव दिया था। डॉ थॉमस होबेन हेडली ने एक औद्योगिक संग्रहालय के रूप में निर्माण का उपयोग कर अपने शिल्प प्रदर्शित करके स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया। इसके बाद जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिह द्वितीय को ये विचार पसन्द आया और उन्होंने 1880 में इसका निर्माण करवाया था। और 1887 के अंत में इस संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।