प्रयागराज. जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव का औपचारिक ऐलान होते ही प्रयागराज में भी सियासी पार्टियों ने अपनी जोड़-तोड़ शुरू कर दी है. यहां पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी और सपा में सीधा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है. निर्दलीयों और सपा के बाद तीसरे नंबर पर रही बीजेपी ने इस चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया है. अपने गृहनगर में कमल खिलाने के लिए खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कमान संभाल ली है. पिछले दिनों उन्होंने निर्दलीय व विपक्षी पार्टियों के 15 जिला पंचायत सदस्यों को बीजेपी के पाले में लाकर पार्टी की ताकत दोगुनी बढ़ा दी है.


हालांकि केशव मौर्य के सीधे दखल के बावजूद बीजेपी अब भी बहुमत के आंकड़े से तकरीबन एक तिहाई दूर ही है. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का कमल खिलना कतई आसान नहीं होगा. कमोवेश यही हालात जिले में ब्लॉक प्रमुखों की 23 सीटों पर भी हैं. सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही ब्लॉक प्रमुखों की 23 में से 21 सीटों पर करीब महीने भर पहले ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर मजबूत दावेदारी पेश कर दी है, लेकिन इन सबके बावजूद सत्ताधारी बीजेपी को कतई कमतर नहीं आंका जा सकता. बीजेपी ने अभी किसी भी पद पर अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. वैसे फिलहाल यहां सत्ता की चाभी बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) और बीएसपी के साथ ही निर्दलीयों के हाथ में रहेगी. परिस्थितियों के मुताबिक़ ये तीनों सपा या बीजेपी में से जिसके भी साथ जाएंगे, उसकी स्थिति मजबूत हो जाएगी.


जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी ने मालती यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. मालती के नाम के सहारे सपा पिछड़े वर्ग के वोटरों को साधने की फिराक में है. बीजेपी निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा सिंह और वीके सिंह में से किसी एक पर दांव आजमाएगी. इनमें वीके सिंह को ही उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना सबसे ज़्यादा है. बीएसपी-कांग्रेस व कोई निर्दलीय उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दावेदारी करने में फिलहाल दिलचस्पी दिखाता नहीं नजर नहीं आ रहा है.


जिला पंचायत की 84 सीटें
प्रयागराज में जिला पंचायत की कुल 84 सीटें हैं. जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 43 सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा. पिछले महीने वोटों की गिनती के बाद जो नतीजे जारी हुए थे, उनमे बीजेपी को 15, बीजेपी के बागियों को 13, सपा को 25, बीएसपी को चार, कांग्रेस को एक, आम आदमी पार्टी को दो, अनुप्रिया पटेल की अपना दल एस को चार और ओवैसी की एआईएमआईएम को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके अलावा 18 निर्दलीय उम्मीदवारों के सिर भी जीत का सेहरा बंधा था.


बीजेपी ने अपने ज़्यादातर बागियों को वापस अपने पाले में ले लिया है. सपा ने एआईएमआईएम के एक और दो निर्दलीयों को शामिल कराकर मजबूत चुनौती पेश की है. ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि डिप्टी सीएम की साख दांव पर होने के बीच प्रयागराज में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी और सपा में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए पंचायत चुनाव में मिली करारी हार के गम को कुछ कम करने के लिए ऑपरेशन पंचायत अभियान शुरू कर दिया है. वहीं, विपक्षी पार्टियां इस चुनाव में सत्ता के दुरुपयोग की भी आशंका जताने लगी हैं. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और सपा के एमएलसी डा. मान सिंह ने कहा है कि बीजेपी लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है. दूसरी तरफ सूबे के डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि ज़्यादातर सीटों पर उनकी ही पार्टी जीतेगी और विपक्षी नेताओं का सपना चकनाचूर होगा.


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