उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर बौद्ध धर्म के लिए खास है यहीं पर भगवान बुद्ध को महानिर्वाण प्राप्त हुआ था. यहां स्थित महानिर्वाण मंदिर में भगवान बुद्ध के 6 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है. साल 1992 में हुई खुदाई के दौरान यहां मौर्य काल के मूर्तियां,मुहरें और सिक्के मिले थे.


बुद्ध के जन्म से पहले कुशीनगर को कुसावती और उनके जन्म के बाद इसे कुशीनारा नाम से जाना जाता था. छठी शताब्दी ईसा पूर्व यह सोलह महाजपदों में से एक थी. इतिहासकारों के मुताबिक कुशीनगर, कोसल साम्राज्य की राजधानी थी.  


पौराणिक कथाओं के अनुसार इस नगर की स्थापना भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने की थी.  इसके अलावा कुशावती नाम यहां पाए जाने वाले कुश घास के कारण हुआ था. बौद्ध धर्म से जुड़े होने के कारण यहां कई पर्यटक स्थल हैं जहां रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. आज हम आपको ऐसी ही कुछ पर्यटक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं. 


महापरिनिर्वाण मंदिर


कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण मंदिर में दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां आते हैं. यहां भगवान बुद्ध की 6 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा साल 1876 में खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी. प्राप्त अभिलेखों के अनुसार यह प्रतिमा पांचवी शताब्दी का है. यह प्रतिमा लाल बलुआ पत्थर के एक ही टुकड़े से बनाया गया है. यह प्रतिमा भगवान बुद्ध की 80 वर्ष की उम्र को दर्शाती है.  


सूर्य मंदिर


कुशीनगर स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण गुप्तकाल में हुआ था. इतिहासकारों के मुताबिक इसमें स्थापित प्रतिमा का निर्माण नीलम धातु से हुआ है. यहां हर साल नवंबर महीने में सूर्य महोत्सव का आयोजन होता है इस महोत्सव में हजारों की संख्या में पर्यटक शिरकत करते हैं.    


कुशीनगर संग्रहालय


इतिहास में रुची रखने वाले पर्यटकों के लिए कुशीनगर संग्रहायल खास है. इसे बुद्ध संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है. इस संग्रहालय में भगवान बुद्ध से जुड़ी वस्तुएं रखी गई हैं. 


रामभर स्तूप


महानिर्वाण मंदिर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर रामभर स्तूप स्थित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार यहीं पर हुआ था. यहां रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. बौद्ध धर्म के अनुसार इस स्तूप का निर्माण राजा मल्ल ने करवाया था. इस स्तूप की ऊंचाई 14.9 मीटर है.


श्रीलंका मंदिर


कुशीनगर का श्रीलंका मंदिर जापान और श्रीलंका बौद्ध केंद्र का संयुक्त उद्यम स्थान है. इस मंदिर के पहली मंजिल एक गुंबददार ईंटों से बना हुआ है. यहां हर साल दुनियाभर से पर्यटक भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं.


निर्वाण स्तूप


इस स्तूप की ऊंचाई 2.74 मीटर है. इसे साल 1886 में खोजा गया था. खुदाई के दौरान यहां एक तांबे की नाव मिली थी. इस नाव पर खुदे अभिलेखों के अनुसार इसमें बुद्ध की चिता की राख रखी गई थी.