बरसाना में बसा है राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण का प्रेम, ये हैं यहां के खूबसूरत पर्यटक स्थल
मथुरा भले ही श्रीकृष्ण के लिए जाना जाता हो लेकिन बरसाना को राधा रानी के लिए जाना है. इसी स्धान पर राधा के रूप मे देवी लक्ष्मी ने जन्म लिया था.
मथुरा और वृंदावन भले ही भगवान श्रीकृष्ण के लिए जाना जाता हो लेकिन बरसाना को राधा रानी के लिए जाना जाता है यहीं पर राधा का जन्म हुआ था. मथुरा से बरसाना की दूरी तकरीबन 50 और वृंदावन से इसकी दूरी तकरीबन 43 किलोमीटर है. मथुरा घूमने आए पर्यटक बरसाना घूमने अवश्य जाते हैं. बरसाना की गलियों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा का अमर प्रेम बसा हुआ है.
बरसाना की होली विश्व प्रसिद्ध है यहां खेले जाने वाली होली को लट्ठमार होली भी कहा जाता है. नंदगांव के निवासी फाल्गुन एकादशी के दिन बरसाना होली खेलने आते हैं. जबकी दूसरे दिन बरसाना वाले नंदगांव होली खेलने जाते हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक होली के दिन श्रीकृष्ण अपने साथियों के साथ बरसाना होली खेलने जाते थे. आज के इस लेख में हम आपको भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी बरसाना के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं.
राधा रानी मंदिर
ब्रज धाम के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक राधा रानी मंदिर है. यहां दूर-दूर से पर्यटक इस भव्य मंदिर को देखने आते हैं. पहाडी गलियारों के शिखर पर बने इस मंदिर तक सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचा जाता है.
कीर्ति मंदिर
बरसाना स्थित कीर्ति मंदिर को रंगीली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर परिषद के भीतर भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों की सुंदर झांकिया बनी हुई हैं. इस मंदिर का निर्माण जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज ने करवाया था. मंदिर के गर्भगृह में राधा की मां कीर्ति स्थापित हैं. यहां हर रोज हजारों की संख्या में पर्यटक भगवान के दर्शन करने आते हैं.
नंद गांव
बरसाना से तकरीबन 9 किलोमीटर की दूरी पर नंद गांव स्थित है. यहां स्थित मंदिर तकरीबन 5 हजार साल पहले नंद और यशोदा का घर हुआ करता था. मंदिर के गर्भ गृह में यशोदा, नंद और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा विराजमान है.
प्रेम सरोवर
नंद गांव और बरसाना के बीच प्रेम सरोवर स्थित है. गर्ग पुराण के अनुसार एक बार राधा ने यहां पर कृष्ण से मिलने आई लेकिन उस दिन कृष्ण नहीं आए. तब उनके वियोग में राधा रोने लगी और उनके आंशु की धारा से इस सरोवर का निर्माण हुआ था.
मोरकुटी
बरसाना के मोरकुटी में राधा मयूरों को नृत्य की सखाती थीं. यहां कभी-कभी भगवान श्रीकृष्ण भी मोर बनकर राधा से नृत्य सीखा करते थे.
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