शामली: हम जब भी खेती किसानी की बात करते हैं, तो खेतों की जुताई के लिए सबसे पहले टैक्टर का ही नाम आता है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि 1957 का टैक्टर आज भी चालू हालात में दिख सकता है? हम आपको बताएंगे उस टैक्टर के बारे में कि, कैसे एक हैंडल मारते ही ये स्टार्ट हो जाता है.


1957 में खरीदा गया था


शामली के भैंसवाल गांव के राज सिंह ने 1957 में इस ट्रैक्टर को खरीदा था और जब ये गांव में आया तो काफी दूर दूर से लोग इसे देखने आए थे और आज भी लोग 1957 का टैक्टर देखने के लिए इस भैंसवाल गांव में आते हैं. लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि इतने लंबे वक्त के बाद ये क्या कर पायेगा, स्टार्ट भी होगा या नहीं! तो आपको बता दें कि, ये टैक्टर एक हैंडल में स्टार्ट होता है.


मेरठ से मंगवाया था


इसके मालिक विनय पाल इसे बड़ी हिफाजत से रखते हैं. उनका कहना है कि, उनके पिता ने 1957 में 12000 रुपये में ये टैक्टर मेरठ से खरीदा था. जो बाहर से मंगवाया गया था, जिसके कागज 1958 में मिले थे. इस टैक्टर का नंबर है UST 1900. विनय पाल सिंह इस टैक्टर को अपने पिता की निशानी मानते हैं इसलिए वो आज भी इस टैक्टर से बहुत प्यार करते हैं.


एक हैंडल से स्टार्ट होता है


विनय पाल की मानें तो, यह टैक्टर आज भी एक हैंडल में स्टार्ट होता है. इससे जानवरों के लिए चारा काटना व थोड़ी बहुत जुताई का काम किया जाता है. क्योंकि इसके गेयर बक्से का सामान अब नहीं मिलता, जिसकी वजह से इससे भारी काम नहीं करते. क्योंकि भारी काम करने से गेयर बक्से पर जोर पड़ेता है.


नये ट्रैक्टरों की अपेक्षा कहीं ज्यादा मजबूत


अब हम इस टैक्टर की खासियत आपको बताते हैं. ये टैक्टर आज के टैक्टरों की अपेक्षा ज्यादा मजबूत है. 1957 से ये खुला आसमान के नीचे खड़ा हो रहा है, चाहे सर्दी, बरसात गर्मी, सभी मौसम में ये खुले आसमान के नीचे ही रखा जाता है, बावजूद इसके, कभी भी स्टार्ट होने में कोई दिक्कत नहीं आई, और गांव के युवा भी इसे देख कर आश्चर्य करते हैं, कि जबसे उन्होंने होश संभाला तब से वह इस ट्रैक्टर को देख रहे हैं और ऐसे ही ट्रैक्टर रोज चलता है. जानवरों के लिए चारा काटता है, थोड़ी बहुत जुताई भी करता है और आज भी नए टैक्टरों की अपेक्षा ये ज्यादा कार्य करता है.


ये भी पढ़ें.


अयोध्या के अभेद सुरक्षा के लिये एडीजी का दौरा, आला अफसरों के साथ हुई अहम चर्चा