देहरादून: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर उपजे असंतोष के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन इस बीच दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड में बीजेपी का सीएम अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर पाता है. चुनावी साल से पहले अब त्रिवेंद्र सिंह रावत की भी छुट्टी हो गई है.


उत्तराखंड में बीजेपी का कोई भी सीएम कार्यकाल पूरा नहीं कर सका


- साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बीजेपी ने 2 साल में 2 सीएम बनाए (नित्यानंद स्वामी और भगत सिंह कोशियारी)


- 2002 में कांग्रेस जीती


- 2007 में फिर से बीजेपी को बहुमत मिला


- 2007 से 2012 के बीच उत्तराखंड में बीजेपी ने 2 सीएम बदले (बी सी खंडूरी और रमेश पोखरियाल 'निशंक')


- 2017 में फिर बीजेपी की सरकार बनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बने


- इस बार फिर 4 साल बाद सीएम बदला जाएगा


बता दें कि उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार सहित कुछ बातों को लेकर प्रदेश भाजपा विधायकों में असंतोष की बातें गाहे-बगाहे उठती रही हैं, लेकिन प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों ने शनिवार शाम तब जोर पकड़ लिया जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार सिंह अचानक देहरादून पहुंचे और कोर ग्रुप की बैठक हुई. कोर ग्रुप की यह बैठक पहले से प्रस्तावित नहीं थी और यह ऐसे समय बुलाई गई जब प्रदेश की नई बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण बजट सत्र चल रहा था.


बैठक की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री रावत को तुरंत गैरसैंण से वापस देहरादून आना पड़ा. आनन-फानन में बजट पारित करा कर सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और भाजपा विधायकों को भी तत्काल गैरसैंण से देहरादून बुला लिया गया. दो घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कोर ग्रुप की बैठक में प्रदेश के ज्यादातर सांसद और प्रदेश संगठन से जुडे़ अहम नेता मौजूद रहे. मुख्यमंत्री रावत के गैरसैंण और देहरादून में सोमवार को भी कई कार्यक्रम प्रस्तावित थे लेकिन हाईकमान के बुलावे पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा जहां से वह आज ही लौटे. इसके बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया.


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