प्रयागराज: माघ मेले में आकर्षण का केंद्र बने ट्रंप और हिटलर बाबा, जानिए इनके बारे में
ट्रंप बाबा और हिटलर बाबा आम श्रद्धालुओं के साथ ही भगवाधारी साधुओं के बीच भी खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. ट्रंप बाबा जहां एक बड़े आश्रम की व्यवस्था को संभाल रहे हैं, तो वहीं हिटलर बाबा एक बैरागी अखाड़े के महामंडलेश्वर के तौर पर आस्था की इस नगरी में धूनी रमाए हुए हैं.
प्रयागराज. संगम नगरी प्रयागराज में इन दिनों माघ मेला लगा हुआ है. करीब दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस सबसे बड़े मेले के लिए संगम की रेती पर तंबुओं का एक अलग शहर बसाया गया है. तंबुओं की इस नगरी में धर्म और आध्यात्म की अलख जगाने के लिए वैसे तो देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में संत-महात्मा आए हुए हैं, लेकिन इस बार ट्रंप बाबा और हिटलर बाबा के नाम की धूम मची हुई है. ट्रंप बाबा और हिटलर बाबा आम श्रद्धालुओं के साथ ही भगवाधारी साधुओं के बीच भी खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. ट्रंप बाबा जहां एक बड़े आश्रम की व्यवस्था को संभाल रहे हैं, तो वहीं हिटलर बाबा एक बैरागी अखाड़े के महामंडलेश्वर के तौर पर आस्था की इस नगरी में धूनी रमाए हुए हैं. आइए आपको अजीबो-गरीब नामों वाले इन बाबा के बारे में बताते हैं.
एक तानाशाह के तौर पर बदनाम जर्मनी के पूर्व शासक एडॉल्फ हिटलर का नाम तो आपने जरूर सुना होगा. हिटलर बेहद जिद्दी, क्रूर और तानाशाह किस्म का शासक था. हिटलर जो कुछ ठान लेता था, उसे हर हाल में कर डालता था. अपने आगे वह किसी की भी बात नहीं सुनता था. माघ मेले में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हिटलर बाबा भी कुछ इसी तरह के हैं. हालांकि उनकी जिद और कठोरता सिर्फ धर्म और आध्यात्म के प्रचार-प्रसार और अपनी साधना भर के लिए ही होती है, किसी को परेशान करने या दबाव बनाने के लिए नहीं.
महंत माधव दास है हिटलर बाबा का असली नाम हिटलर बाबा बैरागियों के दिगंबर अणी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं और उनका असली नाम महंत माधव दास है. माधव दास के हिटलर बाबा बनने के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल, माधव दास ने जब संन्यास की दीक्षा ली थी तो वह अपनी साधना पूरी करने और गुरु की सेवा करने में कभी दिन-रात का फर्क नहीं देखते थे. जिद पर अड़कर लंबे समय तक साधना में लीन रहते थे. इस दौरान अगर कोई भी उनकी साधना, गुरु की सेवा या धर्म व आध्यात्म के दूसरे कामों में रुकावट डालता था तो माधव दास उसे खरी-खोटी सुना देते थे. उनकी इसी जिद की वजह से साल 1992 में उनके गुरु रघुवर दास ने उन्हें हिटलर नाम दे दिया. गुरु उन्हें हिटलर कहकर पुकारने लगे तो पूरे अखाड़े के लिए वह हिटलर बाबा बन गए. तब से आज तक उनका यही नाम उनकी खास पहचान बना हुआ है.
हिटलर बाबा एक तानाशाह के नाम पर पुकारे जाने पर न तो नाराज होते हैं और न ही बुरा मानते हैं. उनका कहना है कि नाम गुरु का दिया हुआ है, लिहाजा वह इसे गुरु के आशीर्वाद के तौर पर लेते हैं. हिटलर बाबा बहुत अच्छा भजन भी गाते हैं. साथ ही लकड़ी के चूल्हे पर तैयार की गई उनकी कॉफी किसी को भी उनका मुरीद बना सकती है.
आश्रम की व्यवस्था संभालते हैं ट्रंप बाबा वहीं, ट्रंप बाबा चित्रकूट और उज्जैन के साकेत धाम आश्रम के व्यवस्थापक हैं. तकरीबन 20 साल पहले गृहस्थ जीवन से तौबा कर संन्यास की दीक्षा लेने वाले ट्रंप बाबा का असली नाम कंचन कुमार मिश्र है. वह कॉमर्स में मास्टर डिग्री लिए हुए हैं. फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं. लैपटॉप और एंड्रायड मोबाइल तेजी से चलाते हैं. वो आश्रम की व्यवस्थाओं को इतने बेहतर तरीके से चलाते हैं कि वहां के संचालक से लेकर दूसरे पदाधिकारी उनके मुरीद बन चुके हैं. अमेरिका के पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप जब राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठे, उसी वक्त कंचन मिश्र को आश्रम के व्यवस्थापक की जिम्मेदारी सौंपी गई. उनके गुरु बिनैका बाबा ने ही उन्हें ट्रंप की पदवी दी.
बाइक पर फर्राटा भी भरते हैं ट्रंप बाबा नाम गुरु का दिया हुआ था, लिहाजा उन्होंने खुद को ट्रंप बाबा के रूप में ही प्रचारित करना शुरू कर दिया. गुरु के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप जितनी शिद्दत और मेहनत के साथ अमेरिका का शासन चला रहे थे, उतनी ही होशियारी से कंचन बाबा उनके आश्रम को संभाल रहे थे. डोनाल्ड ट्रंप की तरह तेज तर्रार होने के कारण ही गुरु ने उन्हें ट्रंप बाबा का नाम दिया. ट्रंप बाबा आश्रम की व्यवस्थाओं को संभालने के साथ ही कई घंटे पूजा और साधना में बिताते हैं तो कभी बाइक पर फर्राटा भरते हुए नजर आते हैं.
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