हल्दी या स्लो प्वाइजन! नई रिसर्च ने चौंकाया, यूपी में 11 सैंपल्स ने किया हैरान, सामने आया ये सच
Turmeric Sample: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, प्योर अर्थ और नई दिल्ली स्थित एक शोध संस्थान ने अपने रिसर्च पेपर में हमारे रोज मर्रा के जीवन में काम आने वाली हल्दी को लेकर बड़ा खुलासा किया है.
Turmeric Sample: भारत के हर हिस्से में भांति भांति के व्यंजन बनाने के लिए दशकों से हल्दी का इस्तेमाल हो रहा है. यह एक ऐसा मसाला है जो न सिर्फ स्वाद बढ़ाने बल्कि शरीर में लगी चोट को ठीक करने के लिए भी बेहतर माना जाता है. अब एक स्टडी में सामने आया है कि भारत के कुछ हिस्सों में हल्दी की क्वालिटी खराब है. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के रिसर्चर्स द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि कुछ हिस्सों में हल्दी के सैंप्लस में सीसा यानी लेड की मात्रा 200 गुणा से ज्यादा थी.
भारत में शोधकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, चंडीगढ़, पंजाब में अमृतसर, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर में श्रीनगर, बिहार में पटना, गुजरात में हैदराबाद, मध्य प्रदेश में इंदौर, राजस्थान में जयपुर में सैंपल कलेक्ट किया था.
शोध पत्र में कहा गया है कि लखनऊ और इंदौर से मिले हल्दी के सैंपल्स के इवैल्यूएशन में सीसा नहीं पाया गया. हालांकि आगे की जांच की आवश्यकता है. रिसर्च पेपर के अनुसार लखनऊ से 11 सैंपल लिए गए थे. जिसमें लेड की मात्रा नहीं पाई गई.
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम रोक के बाद मायावती बोलीं- अब आतंक की छाया समाप्त
बिहार का क्या हाल?
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि भारत में हल्दी मुख्य रूप से तमिलनाडु (22%) महाराष्ट्र (14%) से आती है. हालांकि हल्दी के 32% सैंपल्स का सोर्स पता नहीं चला. बिहार के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई लेट लेवल वाली हल्दी के नमूनों की कटाई भी बिहार में ही की गई .
वहीं हल्दी में सीसे का स्तर पटना में 10 μg/g से अधिक पाया गया. जेना ई. फोर्सिथ, दिनशा मिस्त्री, एमिली नैश, मन्यु एंग्रीश, स्टीफन पी. लुबी ने अपने रिसर्च पेपर में दक्षिणी एशिया पर शोध किया है. इसमें दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया में हल्दी में लेड क्रोमेट की मिलावट के साक्ष्य मिले हैं.
बता दें भारत में FSSAI ने हल्दी में अधिकतम सीसे की मात्रा 10 µg/g निर्धारित की है.