Tussle in BJP leaders in Bhodohi यूपी के भदोही जनपद से बड़ी खबर है. यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर नाम वापसी तक उठा पठक चल रही है. जनपद में बीजेपी शुरू से ही दो फाड़ में दिख रही थी. एक खेमे में बीजेपी जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव हैं और उनके साथ भदोही जिला पंचायत चुनाव प्रभारी बनाए गए सोनभद्र से पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश मिश्रा हैं, तो दूसरे खेमे में पार्टी के दोनों विधायक और सारे पार्टी पदाधिकारी और नेतागण हैं. साथ ही गुपचुप तरीके से सांसद भदोही भी शामिल हैं.
आपस में नहीं बन रही नेताओं की
यहां सब जिलाध्यक्ष से नाराज़ ही दिखे और पार्टी को आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जिसकी रिपोर्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं के पास पहुंच गई थी. ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी प्रत्याशी अमित कुमार सिंह उर्फ प्रिंस से भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसका मूल कारण अमित सिंह के साथ आवश्यक सदस्यों की उपलब्धता का ना होना, क्योंकि भाजपा से अधिकृत 4 सदस्य ही निर्वाचित हुए हैं. वहीं, भाजपा विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी द्वारा निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपने भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी को मैदान में उतारा है और 2 सेट में भतीजा चंद्र भूषण और भाई अनिरुद्ध ने 4 सेटों में नामांकन किया था, जिसके मुताबिक विधायक खेमे में 12 सदस्यों का समर्थक एवं खुद के परिवार से 2 सदस्य कुल मिलाकर आंकड़ा 14 सदस्यों का है.
सपा पहले ही बाहर
जबकि भदोही जनपद में कुल 26 जिला पंचायत सदस्य हैं, और विजय पताका के लिए सिर्फ 14 वोट ही चाहिए जो इन्हीं के पास है. वहीं, ऊर्जा राज्यमंत्री रमा शंकर सिंह पटेल ने भी अपने अधिकृत प्रत्याशी को जिताने और पार्टी में सब एक है, की बात भी झूठी साबित हुई है, क्योंकि जनपद भदोही का सारा खेल 2022 का भी देखा जा रहा है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भदोही में अपनी साख बचाने के लिए ही अपने अधिकृत प्रत्याशी को अपना नामांकन पर्चा वापस लेने के लिए कहा, लेकिन वार्ड नंबर 24 से प्रत्याशी अमित सिंह ने अपना पर्चा वापस न लेते हुए निर्दल प्रत्याशी के रूप में ही ताल ठोके हुए हैं. सपा प्रत्याशी को प्रस्तावक नहीं मिलने के कारण पहले ही मैदान छोड़कर लड़ाई से बाहर है. वैसे देखा जाय तो अनिरुद्ध तिवारी की जीत लगभग सुनिश्चित है. वैसे राजनीति में कब क्या हो जाए, ये कहना फिलहाल अभी थोड़ा मुश्किल है और बीजेपी विधायक के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी के भाग्य का फैसला 3 जुलाई को ही तय होगा.
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