देहरादून: लंबे समय से उत्तराखंड की राजनीति में सुर्खियां बटोर रहा राज्यमंत्री रेखा आर्य और आईएएस वी षणमुगम का विवाद किसी से छिपा नहीं रहा, दोनों लोगों की किरकिरी करा कर यह विवाद शांत तो जरूर हुआ लेकिन इस पूरे मामले में जांच चल रही थी उसका कोई अता-पता नहीं है.


लंबी चली खींचतान


एक तरफ जहां राज्य मंत्री रेखा आर्य अपने विभाग में षणमुगम को रखना नहीं चाहती थीं तो वहीं आईएएस वी षणमुगम राज्यमंत्री रेखा के साथ काम नहीं करना चाहते थे. खींचतान लंबी चलती रही मामला सीएम दरबार तक पहुंचा. जांच हुई लेकिन अब तक जांच में क्या निष्कर्ष निकला है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. लिहाजा आईएएस वी षणमुगम और राज्यमंत्री रेखा आर्य दोनों लोगों की किरकिरी इस पूरे मामले में हुई, लेकिन अभी तक जांच किस दृष्टिकोण से की गई, आखिरकार दोष किसका था, इस बारे में अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.


लटका रहा विभाग का काम


हालांकि आईएएस वी षणमुगम को राज्यमंत्री रेखा आर्य के विभाग से चलता कर दिया गया, लेकिन वी षणमुगम जब तक विभाग में रहे कोई काम करके नहीं दिखाया. अंत इस बात का यह हुआ कि आपसी खींचतान में तमाम योजनाएं प्रभावित हुईं. जिन लोगों को रोजगार मिलना था उनके काम रूके उसके बाद में अब राज्यमंत्री रेखा आर्य फिर किस बात का इंतजार कर रही हैं, कि आखिरकार दोनों की संदिग्ध परिस्थिति इस पूरे मामले में दर्शाई गई तो ऐसे में जो जांच की जा रही थी उस को सार्वजनिक किया जाए.


आखिर दोष किसका था?


रेखा आर्य मान रही है कि लंबे विवाद के कारण तमाम कार्य, योजनाएं प्रभावित हुईं लेकिन कुछ ऐसी स्थिति जरूर पैदा हो गई थी कि आखिरकार इस पूरे मामले में दोष किसका है? लिहाजा अब रेखा आर्य इस बात का हवाला दे रही है कि पूरा मामला सीएम दरबार और मुख्यमंत्री के संज्ञान में है तो जो भी निर्णय होगा वह सर्वोपरि होगा. लेकिन मामले में राज्यमंत्री रेखा आर्य हो या फिर आईएएस वी षणमुगम दोनों की किरकिरी होने के बाद में अब इंतजार इस बात का है कि आखिरकार आपसी खींचतान में दोष किसका था. रेखा आर्य मान रही है कि जल्द से जल्द इस जांच को भी सार्वजनिक किया जाए ताकि एक संदिग्ध परिस्थिति वाली स्थिति पैदा ना हो और दोष किसका का था वह भी सार्वजनिक हो.


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