बरेली में चार साल पहले नाबालिग के साथ की गई थी हैवानियत, कोर्ट ने दोषियों को सुनाई फांसी की सजा
बरेली में चार साल पहले नाबालिग से बलात्कार और हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। मृत्युदण्ड की सजा विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार यादव ने सुनाई।
बरेली, एबीपी गंगा। नवाबगंज थाना क्षेत्र में चार साल पहले नाबालिग से बलात्कार और हत्या के मामले में दो लोगों को पाक्सो विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है अदालत ने मामले में फैसला आठ जनवरी को ही सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार दोपहर को सुनाया गया। करीब चार साल तक चले इस मामले में फैसला आने तक कई अड़चनें भी आईं। कभी परिजनों को धमकी दी हई तो कभी गवाहों को धमकाया गया।
अपर जिला सरकारी वकील पाक्सो एक्ट रीत राम राजपूत ने बताया कि इस मामले में दलित की बेटी के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या भी कर दी गयी थी। घटना में दोनों आरोपी दोषी पाए गये। उन्होंने बताया कि पाक्सो एक्ट की धारा 6 में नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले उमाकांत (32) और मुरारी लाल (24) को शुक्रवार को मृत्युदण्ड की सजा विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार यादव ने सुनाई। कोर्ट ने फैसले में निर्भया केस का भी संदर्भ लिया और उसे रेयर ऑफ रेयरेस्ट माना।
गौरतलब है कि बच्ची से सामूहिक बलात्कार की घटना 29 जनवरी 2016 को हुई थी। 29 जनवरी 2016 को जब अंधेरा होने के बाद बेटी घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। परिजनों को खेत में शव मिला। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और जब रिपोर्ट आई तो सबके होश उड़ गए।
बच्ची के साथ दरिंदगी की गई थी। उसके प्राइवेट पार्ट में लकड़ी मिली थी, चोट के निशान थे। पुलिस के तमाम प्रयास विफल साबित हो रहे थे। इसी दौरान गांव के रामचंद्र ने पुलिस को बताया कि मुरारी लाल व उमाकांत उससे मदद मांगने आए थे। वह पुलिस से बचाने की बात कह रहे थे। यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। पूछताछ में दोनों ने गुनाह का खुलासा किया, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ।
कानूनी दांव पेंच के बीच आरोपियों को दोषी करार देने से पहले तीन दिन तक लगातार इस मामले में बहस हुई। सरकारी वकील रीत राम राजपूत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों को बड़े सलीके से रखा। वर्तमान इंस्पेक्टर गौरव सिंह लगातार गवाहों के संपर्क में रहे। तत्कालीन एसएसपी मुनिराज जी भी गवाह रामचंद्र से संपर्क में रहे।
बेटी के साथ दर्दनाक वारदात के गम में 16 दिसंबर 2019 को उसकी मां की मौत हो गई थी। बच्ची के पिता ने बताया कि आरोपी की बहन का परिवार समझौता करने का दबाव डाल रहा था। उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी मिल रही थी। वह मुकदमे की लगातार पैरवी करते रहे। कोर्ट ने अब अपना फैसला सुना दिया है, जिसके बाद इंसाफ मिल गया है।