कानपुर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की दो दिन का अधिवेशन खत्म हो गया. बोर्ड के सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए बयान दिया कि पर्सनल ला बोर्ड की मीटिंग में कई प्रस्ताव रखे गए. उसमें से एक यह भी रखा गया कि पिछले कुछ दिनों से पैग़ंबरे इस्लाम को लेकर तरह तरह की टिप्पणियां की गई हैं. उससे मुस्लिम समाज आहत है सरकार से यह मांग की गई है कि ऐसे मामले पर सख्त कानून बनाया जाए साथ ही उन्होंने कॉमन सिविल कोड पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि देश में कॉमन सिविल कोड लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि सभी धर्मों को संविधान के अंतर्गत धार्मिक आजादी दी गई है. जिस तरह से हुकूमत ने पिछले दिनों कृषि बिल वापस लिया है. बोर्ड के सदस्य का कहना है कि मुस्लिम संस्थाएं जिनमें जमीअत उलमा हिंद और जमात-ए-इस्लामी ने सीएए एनआरसी बिल को वापस लेने की भी मांग उठ रही है बोर्ड का भी कहना है की सरकार को यह बिल भी वापस लेना चाहिए.
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए बने सख्त कानून
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड में महिलाओं को लेकर भी चर्चा हुई. माना गया कि देश में महिलाओं पर रेप और अपराध बढा है और दहेज के मामले बढ़े हैं. महिलाओं के साथ छोटी बच्चियों के साथ भी रेप बढ़े हैं. इन मामलों पर हुकूमत से डिमांड की गई है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर सख़्त कानून बनने की जरूरत और उसपर अमल होना चाहिए.
अधिवेशन के आखिरी दिन कहा गया कि मुसलमानों से अपील है कि वो दहेज से बचे, शादियों में फिजूल खर्ची न हो, मुसलमान शरई अदालतों में जाएं अपने मसले हल करें और दारुल कजा और दूरे धर्म मे शादी करने से बचे. त्रिपुरा मामले पर भी मीटिंग पर चर्चा हुई. मस्जिदों पर हमले कुरान का अपमान किया गया इसपर भी मुतालबा किया गया कि अल्पसंख्यकों और महिलाओ व दलितों के लिए कानून बने मॉब लिचिंग की घटनाओं पर शख्त कार्यवाई हो.
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