लखनऊ, एबीपी गंगा। समाजवादी पार्टी की सरकार में चकबंदी लेखपालों की भर्ती में हुई धांधली मामले में योगी सरकार ने सख्त फैसला लिया है। पूरे प्रकरण में आरोपी सुरेश सिंह यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सुरेश ने पुलिस की लापरवाही से भर्ती घोटाले मामले में दर्ज प्रथमिकी पर अरेस्ट स्टे ले लिया था। मुख्यमंत्री के एक्शन में आने के बाद पुलिस हरकत में आई। शुक्रवार देर रात में सुरेश के खिलाफ धमकी और गाली गलौज की एक और एफआईआर दर्ज की गई और शनिवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


गौरतलब है कि सरकार के आदेश पर उच्चस्तरीय जांच में विभागीय अफसरों के साथ ही आयोग को भी भर्तियों में अनियमितता का दोषी पाया गया था। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। पुलिस ने इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की। इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। सीएम की नाराजगी के बाद पुलिस की टीमें दिल्ली, बुलंदशहर और पश्चिमी यूपी के कई जिलों में दबिश दे रही थीं। पांच दिन बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की।


मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद अफसर सक्रिया हुये


वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार की जांच में गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। प्रारंभिक जांच में धांधली मिलने पर सरकार ने चकबंदी आयुक्त शारदा सिंह और तत्कालीन अपर संचालक चकबंदी (प्रा.) सुरेश सिंह यादव को निलंबित कर दिया था। इससे पहले इस मामले में शासन ने सोमवार को रिपोर्ट तलब की तो पता चला कि अभी तक कोई गिरफ्तार नहीं हुई है। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद सोमवार देर रात एसएसपी और आइजी हजरतगंज कोतवाली पहुंचे थे। काफी देर तक पुलिस अधिकारियों ने बैठक कर योजना बनाई।


एसएसपी कलानिधि नैथानी का कहना है कि विवेचक सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र ने चकबंदी विभाग से मामले से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। हालांकि, विभाग की ओर से ये उपलब्ध नहीं कराए गए। इस बीच चुनाव आ गया और आरोपी ने अरेस्ट स्टे ले लिया था।