Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में एबीपी गंगा चैनल की खबर का बड़ा असर हुआ है. यहां मौसमी बीमारियों की वजह से एक-एक बेड पर चार-चार बच्चों को लिटा कर उनका इलाज किए जाने के मामले में एबीपी गंगा पर खबर दिखाए जाने के बाद सरकारी अमला हरकत में आया है और उसने वैकल्पिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
इसी कड़ी में प्रयागराज के अफसरों ने बीमार बच्चों के सही इलाज के लिए कोरोना की तीसरी आशंकित लहर के मद्देनजर तैयार किए गए दो पीकू वार्डों को भी अभी से खोल दिया है. मंगलवार को कमिश्नर और डीएम की मौजूदगी में 84 बेड्स के दो पीकू वार्ड बीमार बच्चों के इलाज के लिए शुरू कर दिए गए हैं. शुरुआती एक घंटे में ही चिल्ड्रन हॉस्पिटल से 30 से ज्यादा बच्चों को एसआरएन अस्पताल के इन पीकू वार्डों में शिफ्ट कर दिया गया है.
गौरतलब है कि एबीपी गंगा चैनल ने सोमवार को अपनी स्पेशल रिपोर्ट में प्रयागराज में मौसमी बीमारियों की चपेट में आए बच्चों के इलाज की कड़वी हकीकत को दिखाया था. हमने दिखाया था कि प्रयागराज में बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं और इन बच्चों को इलाज के लिए अस्पतालों में जगह तक नहीं मिल पा रही है.
खबर के अनुसार मेडिकल कॉलेज की ओर से संचालित सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में तो सारे बेड फुल हैं और बीमार बच्चों की भीड़ इतनी ज्यादा है कि यहां एक-एक बेड पर चार-चार बच्चों को एडमिट कर किसी तरह उनका इलाज किया जा रहा था. पूरा इमरजेंसी वार्ड सब्जी-मंडी में तब्दील नजर आ रहा था. बीमार बच्चों में एक दूसरे से संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ गया था.
हमारी इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए प्रयागराज के अफसरों ने शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा. सीएम योगी के निर्देश पर शासन से मंजूरी मिलते ही अफसरों ने मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित एसआरएन हॉस्पिटल में तैयार किए गए चार में से दो पीकू वार्डों को तत्काल प्रभाव से खोलने का आदेश दे दिया. 42-42 बेड वाले दोनों वार्डों को इन बीमार बच्चों के इलाज के लिए तुरंत शुरू कर दिया गया. चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भर्ती तमाम बच्चों को एंबुलेंस के जरिए एसआरएन अस्पताल में शिफ्ट किया गया.
पीकू वार्डों की शुरुआत के मौके पर कमिश्नर संजय गोयल, डीएम संजय खत्री और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस पी सिंह भी खास तौर पर मौजूद रहे. अफसरों ने बताया कि पीकू वार्डों को फिलहाल अस्थाई तौर पर एक महीने के लिए ही खोला गया है. जरूरत पड़ने पर 84 बेड की क्षमता के ही दो बाकी बचे वार्डों को भी शुरू कर दिया जाएगा. अफसरों के मुताबिक बच्चों के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी और इलाज के लिए बेहतर से बेहतर व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी.
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