आधुनिकता ने छीना रोजगार, गर्मियों के मौसम में नहीं बढ़ा मटकों का कारोबार, संकट में हस्त शिल्प उद्योग
Uttarakhand News: बढ़ती आधुनिकत के साथ घटती मिट्टी के बर्तनों की डिमांड से उत्तराखंड में प्रजापति समाज के काफी चिंतित नजर आ रहा है. मिट्टी बर्तन कारोबारियों ने सरकार से इस ध्यान देने की मांग की.
Udham Singh Nagar News: 'माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदें मोहे, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे' ये लाइन आपने खूब पढ़ी और बड़े बुजुर्गों के मुंह से जरूर सुनी होंगी लेकिन आज कुम्हार को मिट्टी ने बल्कि बढ़ती मंहगाई और आधुनिक युग ने रौंद दिया है. ऐसा हम इसलिए कह रहें हैं क्योंकि आज के समय में गर्मी के मौसम में कुम्हारों के मटके से ज्यादा लोगों को फ्रिज का पानी ज्यादा पसंद आ रहा है. हर साल मिट्टी के मटकों की डिमांड कम होती जा रही है, जिसके कारण कुम्हारों को जीवन यापन करना काफी कठिन हो गए हैं.
उधम सिंह नगर जिले के कुम्हारों के मन में गर्मी की शुरुआत होते ही मटके की डिमांड बढ़ने की उम्मीद थीं, जिसको लेकर कुम्हारों ने छोटे बड़े सुंदर सुंदर मटकों को तैयार कर रखा था. पिछले कुछ सालों में बदले लोगों के रहन-सहन का असर अब मिट्टी के बर्तनों के कारोबार पर भी दिखाई देने लगा है. लोगों के रहन सहन में आए बदलाव के कारण घरों में मटके की जगह फ्रिज और वाटर कूलर ने ले ली है. जिस कारण मिट्टी बर्तन के व्यापारियों के सामने कई तरह की चुनौती खड़ी होने लगीं हैं. व्यापार में आ रही चुनौतियों को देखते हुए प्रजापति समाज युवा इस कारोबार से दूरी बनने लगे हैं. जिसका असर अब मटकों के रेटों पर भी दिखाई देने लगा हैं.
आधुनिकता ने प्रभावित किया मटके का कारोबार
युवा महिला कुम्हार सलोनी ने बताया कि उत्तराखंड में मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश से मिट्टी लानी पड़ती है, क्योंकि यहां पर कुम्हारों के लिए सरकार की तरफ से तालाब आवंटित नहीं किये गए. यूपी से मिट्टी लाना उत्तराखंड में काफी महंगा पड़ रहा है, और युवा कुम्हारों की संख्या में आने वाली कमी के कारण मिट्टी के बर्तनों को तैयार करने में लागत काफी बढ़ जा रही है. उन्होंने बताया कि आज से दस बारह साल पहले गर्मी की शुरुआत होते ही मटकों की डिमांड काफी बढ़ जाती थीं.
पहले हर साल गर्मियों के मौसम में 10 से 12 हजार मटकों की बिक्री होती थीं लेकिन अब लोगों का रुझान फ्रिज की तरफ ज्यादा बढ़ने से गर्मियों के मौसम में मटकों की डिमांड 2 से 3 हजार ही रख गई है. उन्होंने सरकार से अपील है कि मिट्टी के बर्तन से जुड़े लोगों की तरफ सरकार ध्यान दें, नहीं तो आना वाला समय इस उद्योग के लिए काफी खराब सिद्ध हो सकता है.
उत्तराखंड से वेद प्रकाश यादव की रिपोर्ट
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