UCC Draft in Uttarakhand: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक 2024 बुधवार को पास हो गया. सरकार की तरफ से पेश विधेयक पर सदन में लंबी चर्चा हुई. लंबी चर्चा के बाद विधानसभा ने यूसीसी को ध्वनिमत से पारित कर दिया. यूसीसी बिल में लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दी गई है. विधेयक के प्रावधान पर विपक्षी सदस्यों को आपत्ति है. विपक्षी सदस्यों ने सरकार से सदन में कई सवाल पूछे. कांग्रेस के विधायकों ने खामियां गिनाते हुए यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की भी मांग की.
विधानसभा से पारित हुआ यूसीसी विधेयक
सरकार ने संख्या बल के आधार पर विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार कर विधेयक पारित करा लिया. यूसीसी विधेयक के प्रावधानों पर कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई. लिव इन रिलेशनशिप को कुछ शर्तों के साथ मान्यता दी गई है. विधेयक के मुताबिक लीगल रिलेशनशिप में रहने वाले लड़के और लड़की की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए. 21 साल से नीचे के जोड़े को लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत या मंजूरी परिजनों से लेनी होगी. रजिस्टार ऑफिस में जानकारी देने के बाद लिव इन रिलेशनशिप में एक साथ रह पाएंगे. लिव इन रिलेशनशिप को समाप्त करने की जानकारी भी रजिस्ट्रार ऑफिस को देनी होगी. यूसीसी बिल के प्रावधानों में सबसे बड़ी बात लिव इन रिलेशन से पैदा हुए बच्चे पर कही गई है.
लिव इन रिलेशनशिप के क्या हैं प्रावधान?
नए कानून में लिव इन रिलेशन से जन्म लेनेवाले बच्चों को भी अधिकार दिया गया है. यूसीसी कानून बन जाने के बाद लिव इन रिलेशनशिप और शादी में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा. शादी से अलग होने के लिए पति-पत्नी को तलाक का सहारा लेना पड़ता है. लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को अलग होने के लिए ऐसा नहीं करना होगा. रिश्ते से बाहर निकलने के लिए पार्टनर को स्वेच्छा से अलग होने की जानकारी रजिस्टार ऑफिस को देनी होगी. अलगाव की सूरत में लिव इन रिलेशन से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी के लिए पार्टनर को अदालत का रुख करना होगा. यूसीसी कानून बन जाने के बाद सामाजिक परंपराओं से जुड़ी समस्याएं पैदा होंगी. सवाल उठेंगे कि सरकार कानून बनाकर समाज को कहां ले जाना चाहती है. देवभूमि उत्तराखंड में बिना शादी के जवान युवक युवती का साथ रहना क्या सही होगा. अब देखना होगा कि लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता मिलने के बाद समाज की क्या प्रतिक्रिया होती है. उत्तराखंड के लोग नए कानून को किस रूप में स्वीकार करते हैं.