उत्तराखंड में 26 जनवरी को लागू होगा UCC! जानें-क्यों मिल रहे ये संकेत?
Uttarakhand के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आगामी 26 जनवरी को राज्य को एक बड़ा तोहफा दे सकते हैं. जिसके लिए तैयारियां पूरी हो गईं हैं.
UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि जनवरी 2025 से यह कानून राज्य में प्रभावी हो जाएगा. यह कदम उत्तराखंड को देश का पहला ऐसा राज्य बनाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह वादा किया था कि यदि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है, तो राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. भाजपा ने इस वादे को अपने चुनावी एजेंडे का मुख्य बिंदु बनाया और सत्ता में आने के बाद इसे अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की. माना जा रहा था कि सरकार 1 जनवरी 2025 से ही यूसीसी लागू कर देगी. हालांकि निकाय चुनाव की अधिसूचना लागू होने की वजह से अब 23 जनवरी तक सरकार इसके संबंध में कोई ऐलान नहीं कर सकती है. ऐसे में धामी सरकार 26 जनवरी 2025 के दिन राज्य में यूसीसी लागू होने की घोषणा कर सकती है. उसी दिन सन् 1950 में देश में संविधान भी लागू हुआ था.
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UCC में अब तक क्या-क्या हुआ?
27 मई 2022 को उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया. इस समिति ने व्यापक स्तर पर काम किया और राज्य के विभिन्न वर्गों, संस्थानों, और व्यक्तियों से सुझाव मांगे.
2.30 लाख सुझाव: समिति को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 2.30 लाख सुझाव प्राप्त हुए. इन सुझावों को शामिल करते हुए प्रारूप तैयार किया गया समिति ने 2 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. इसके बाद 7 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया गया.
12 मार्च 2024 को सरकार ने इस कानून की अधिसूचना जारी कर दी, जिससे यह कानूनी रूप से मान्य हो गया. इसके बाद 14 मार्च 2024 को नियमावली बनाने के लिए एक अलग समिति का गठन किया गया. मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य महिला अधिकारों का संरक्षण है. इसके जरिए महिलाओं को उनकी संपत्ति, विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान अधिकार दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह कानून समाज के सभी वर्गों के हितों का ख्याल रखेगा और भेदभाव को समाप्त करेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी दी कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारियों को नए कानून की समझ और इसे लागू करने की प्रक्रिया में दक्ष बनाया जा रहा है.
CM धामी ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि राज्य में समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन जनवरी 2025 से शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा, "हमारा एक्ट बनकर तैयार हो चुका है. इसे लागू करने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है. यह कदम राज्य को सामाजिक समानता और न्याय की ओर ले जाएगा."
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत देश या राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून लागू किया जाता है. इसमें शादी, तलाक, संपत्ति, और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों में धर्म या जाति के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं होता उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से न केवल राज्य में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों को भी इस दिशा में प्रेरित कर सकता है. हालांकि, इस कदम को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं रही हैं.
UCC पर किसने क्या कहा?
कुछ वर्गों ने इसे एक सकारात्मक पहल बताया है, जबकि कुछ ने इसे सांस्कृतिक विविधता के लिए खतरा बताया है. सरकार ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए समिति द्वारा प्राप्त सुझावों को कानून में शामिल किया है.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद यह राज्य सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में एक मिसाल बनेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इसे प्राथमिकता देकर समयबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया है. जनवरी 2025 से उत्तराखंड में इस कानून का क्रियान्वयन राज्य और देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा.