Union Budget 2022: जानिए- देश में बढ़ती महंगाई के बीच बजट को लेकर क्या है यूपी की महिलाओं और छात्राओं की राय?
India Budget 2022: देश में बढ़ती महंगाई के बीच बजट को लेकर एबीपी गंगा ने ऐसी महिलाओं और लड़कियों से बात की है, जिनके परिवार के सदस्य ठेला चलाकर बमुश्किल ही परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं.
Union Budget 2022: मध्यम वर्ग से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों के लिए महंगाई की मार किस कदर झेलनी पड़ती है, ये सभी जानते हैं. एक ओर जहां पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. तो वहीं रोजमर्रा की जरूरत के सामानों के दाम बढ़ने से गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. यही वजह है गरीब महिलाएं और उनकी पढ़ने वाली बेटियां ऐसा बजट चाहती हैं, जिसमें गरीबों को राहत मिले. इसके साथ ही गरीबों पर पड़ने वाली महंगाई की मार भी कम हो. रसोई पर भी महंगाई की मार न पड़े और रोजमर्रा की जरूरतों के सामान सस्ते हों.
एबीपी गंगा ने ऐसी ही महिलाओं और लड़कियों से बात की है, जिनके परिवार के सदस्य ठेला चलाकर बमुश्किल ही परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं. इसके साथ ही उनके परिवार की महिलाओं को घरों में खाना बनाने से लेकर बर्तन तक माजने पड़ते हैं. हम पहुंचे हैं गोरखपुर के मायाबाजार में रहने वाली महिलाओं के पास. ये महिलाएं घरों में काम करती हैं. उनके पति ठेला पर गन्ने का जूस और अंडा बेचकर परिवार चलाते हैं. ऐसे में ये महिलाएं और इनकी पढ़ने वाली लड़कियां सरकार से बजट से किस तरह की उम्मीद करती हैं.
जानें- महिलाओं ने क्या कहा?
गोरखपुर के मायाबाजार की रहने वाली लक्ष्मी कहती हैं कि सारे सामान महंगे हो गए हैं. वे चाहती हैं कि रोजमर्रा की जरूरतों के सामान के दाम कम हों. ऐसे में सभी का फायदा होगा. वे कहती हैं कि गैस का दाम एक हजार रुपए हो गया है. इसके अलावा तेल का दाम 190 रुपए हो गया है. चीनी 42 की हो गई है. रीता कहती हैं कि वे बर्तन-चौका करती हैं. उनके पति नहीं हैं. दो बच्चे हैं. जो कपड़े की दुकान पर काम करते हैं. महंगाई के दौर में वे चाहती हैं कि बजट ऐसा हो, जो सभी गरीबों के हित में हो. वे चाहती हैं कि महंगाई कम हो. गरीबों का पेट भरे. पढ़ने वाले बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. जो दो पैसा मिल रहा है, वो किचन में खर्च हो जा रहा है. यहीं वजह है कि बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं.
मियां बाजार की रहने वाली रेखा कहती हैं कि वे गरीब हैं. उनका आदमी ठेला चलाते हैं. लड़का भी कम पढ़ा है. दोनों लड़के दुकान पर काम करते हैं. उनका पीजीआई में इलाज होता है. उन्हें राशन मिलने से क्या होगा. वे चाहती हैं कि बजट ऐसा हो, जिसमें गरीबों को राहत मिले. कमाई कम है और खर्च अधिक है. तेल, मसाला, गैस सभी का दाम बढ़ गया है. गरीब आदमी कैसे जिए और खाए. किरण कहती हैं कि वे घर में चौका-बर्तन करती हैं. वे चाहती हैं कि बजट गरीबों को राहत देने वाला हो. रसोई में तेल, मसाला, साग-सब्जी और अन्य सामान सस्ते हैं. गैस का दाम भी कम किया जाए. गंगोत्री देवी मियांबाजार की रहने वाली हैं. वे कहती हैं कि उनके पति ठेला चलाते हैं. वे चाहती हैं कि गैस और किचन के सामानों के दाम में कमी की जाए. 200 रुपए कमाएंगे, तो खर्च कैसे चलेगा. गरीब आदमी भूखा मर जाएगा. एक हजार रुपए की गैस 20 दिन नहीं चल पाती है. गैस, दाल, तेल का दाम कम किया जाए.
सृष्टि साहू के पिता अंडे का ठेला लगाते हैं. वे कहती हैं कि वे सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग गोरखपुर में कक्षा नौवीं की छात्रा हैं. वे कहती हैं कि उनके मोहल्ले में लाइब्रेरी खुले, जिससे गरीब बच्चे पढ़ सकें. बिजली की सुविधा मिले और बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. गैस का दाम भी बढ़ गया है. गरीबों का ख्याल रखना चाहिए. पूजा बीए की स्टूडेंट हैं. वे कहती हैं कि उनके पिता गन्ने का जूस का ठेला लगाते हैं. वे कहती हैं कि गैस महंगा हो गया है. ठेला लगाने वाला दाल, चीनी, सब्जी और अन्य सामान खरीदने में सोचता है. सुरक्षा पर भी खर्च होना चाहिए. इसके साथ ही बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान होना चाहिए. स्वास्थ्य पर भी खर्च होना चाहिए.
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