संभल हिंसा मामले पर जयंत चौधरी की तीखी प्रतिक्रिया, RLD चीफ ने विपक्ष पर साधा निशाना
UP News: संभल हिंसा पर केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि, "सच्चाई हमेशा देश के सामने आती है और कुछ भी छिपा नहीं. इसके पीछे कौन शक्तियां हैं, समाज उनको भी जानता है."
Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद में 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद अब बयानबाजी का दौर जारी है. संभल हिंसा पर केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी का बयान सामने आया है. कहा कि, "यह राजनीति शैली का हिस्सा है, जो लोग विपक्ष में हैं वे सोचते हैं कि हमला करो और कमियां निकालो."
रालोद चीफ जयंत चौधरी ने कहा कि, सच्चाई हमेशा देश के सामने आती है, और कुछ भी छिपा नहीं रहता. उन्होंने पूछा क्यों इस तरह बर्ताव होते हैं, इसके पीछे कौन शक्तिया हैं, समाज उनको भी जानता है. जब जांच-पड़ताल होगी, कार्यवाही होगी वह कानून के तहत होगी. सुप्रीम कोर्ट है, न्यायापालिका है उसका अपना रूल है. लोगों को विश्वास रखना चाहिये. इस तरह का मॉब्स बनना कोई धर्म नहीं कहता है. आप कानून को हाथ में ले रहे हो.
विपक्ष पर हमला करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि, विपक्षी पार्टियां कहती हैं कि हम संविधान पर विश्वास करते हैं. जयंत चौधरी ने पूछा कि, कौन सा संविधान कहता है कि आप पथराव कीजिये, आप शांति बनाए रखिये. इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार पर है.
8 जनवरी को कोर्ट में पेश होगी सर्वे रिपोर्ट
बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट को लेकर शुक्रवार (29 नवंबर) को चंदौली जिला अदालत में सुनवाई होनी थी. आज की सुनवाई में कोर्ट में मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट पेश होनी थी, कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव ने कहा कि आज सर्वे की रिपोर्ट पेश नहीं की जाएगी. अब 8 जनवरी को इस मामले की अगली सुनवाई होगी और उसी दिन सर्वे रिपोर्ट पेश की जाएगी. साथ ही स्पष्ट किया गया है कि अब कोई और सर्वे नहीं किया जाएगा.
इधर, संभल हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत ने संभल जामा मस्जिद मामले में सुनवाई न करने को कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन से व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए भी कहा है. आपको बता दें कि मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे कराने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ अहम निर्देश दिए, जिनके मुताबिक निचली अदालत को इस मामले पर सुनवाई करने से 8 जनवरी तक रोक दिया गया है.
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