प्रयागराज, एबीपी गंगा। बारात तो आप ने बहुत देखी होगा लेकिन आज हम आप को एक ऐसी शादी में ले कर चलते हैं जिसे देख कर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर ये किस तरह की शादी है, जिसमें दुल्हे की जगह हथौड़े को सजा धजा के बारात निकली जा रही है। ये परम्परा है धर्म और सांस्कृतिक नगरी कही जाने वाले संगम नगरी प्रयागराज की। जहां होलिका दहन होने की पूर्व संध्या पर शहर की सड़कों पर पूरे विधि विधान के बाद धूम धाम के साथ हथौड़े की बारात निकाली जाती है।


होली की मस्ती के जितने रंग हैं, उतनी ही अनोखी है इसे मनाने की परंपरा। प्रयागराज में होली की अजीबो गरीब परंपरा है हथौड़े की बारात। अनूठी परंपरा वाली इस शादी में दूल्हा होता है एक भारी-भरकम हथौड़ा। जिसकी शादी की पूरी परंपरा निभाने के बाद सड़कों पर हथौड़े की बारात निकालने से पहले होता है कद्दू भजन। शहर की गलियों में जैसे दूल्हे राजा की भव्य बारात निकाली जाती है वैसे इस हथौड़े की बारात में सैकड़ो लोग बैंड बाजे के साथ इसमें शामिल होते हैं, डांस भी होता है। इस परंपरा का संदेश संसार की बुराइयों को खत्म करना है।


संगम नगरी में इसी के साथ शुरू हो जाता है रंगो का त्यौहार होली


ब्याह के लिए सजे हैं दूल्हे राजा सजे धजे हैं। किसी की नजर न लगे, इसलिए दूल्हे राजा की नजर उतारी गयी, काला टीका लगाया गया और आरती की गयी। घंटों संजने संवरने के बाद दूल्हे राजा बैंड बाजे और डीजे की धुनों के बीच पूरी शान से शहर की सड़कों पर निकलते हैं। होली पर होने वाली इस शाही शादी में सैकड़ों बाराती भी शामिल हुए, जो रास्ते भर मस्ती में मगन होकर नाचते हुए हथौड़े की बारात में चलते रहे। इस हथौडा बारात में वही भव्यता देखने को मिली जो कि किसी शाही शादी में देखने को मिलती है। दूल्हा बने हथौड़े की बारात अगर बेहद भव्यता के साथ निकली तो दुल्हन कद्दू का डोला शोर व हंगामे के बिना ही विवाह स्थल तक पहुंचाया गया और कद्दू भंजन हुआ।


सदियों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक हथौड़े और कद्दू का मिलन शहर के बीचों-बीच हजारों लोगों की मौजूदगी में कराया जाता है इसका मकसद समाज मे फैली कुरीतियों को खत्म करना है। आयोजकों के मुताबिक प्रयागराज में ही हथौड़ा पैदा हुआ था /प्रलय काल के बाद भगवन विष्णु अक्षयवट की टहनी पर बैठे हुए थे। उन्होंने विश्कर्मा को बुलाया और कहा अब प्रलयकाल ख़त्म हुआ अब विश्व निर्माण होना चाहिए। विश्कर्मा जी ने हवन और यज्ञ किया। लंबे समय तक हवन करने बाद एक यंत्र पैदा हुआ यानि हथौड़ा तब से आज तक प्रयागराज वासी इस हथौड़े से प्रेम करने लगे ,फिलहाल इस अनूठी शादी के साथ ही प्रयागराज में होली की औपचारिक तौर पर शुरूआत भी हो जाती है।