Til Bhandeshwar Shivling in Kashi: सावन का महीना शिव आराधना का मास होता है. कहते हैं महादेव इस पूरे मास भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. काशी में बाबा अपने वृहद रूप में विराजमान हैं. विशालकाय शिवलिंग के दर्शन से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है. काशी में महादेव के एक और अद्भुत रूप है जिसे तिल भाण्डेशवर के नाम से सजाना जाता है. 


रोजाना तिल पर बढ़ जाता है महादेव का शिवलिंग


काशी में महादेव का यह शिवलिंग रोजाना तिल भर बढ़ता है. रोजाना बढ़ने से शिवलिंग 25 फीट से ज्यादा बड़ा हो चुका है. भक्तों की इस दराबर में असीम श्रद्धा है. यहां चढ़ावे में तिल का तेल चढ़ता है. महादेव के कई रूपों के दर्शन आपने किये होंगे, लेकिन महादेव का ये स्वरूप अद्भुत है, यहां श्रावण मास में दर्शन से आशीर्वाद मिलता है. ग्रह बाधा दूर होती है. 


तिल भाण्डेश्वर के नाम से जाने जाते हैं महादेव 


भोलेनाथ के इस दरबार की कई कथाएं हैं. कहा जाता है कि, इस शिवलिंग का इतिहास द्वापर युग से मिलता है. पहले इस जगह पर तिल की खेती होती थी. अचानक एक दिन तिल के खेतों से शिवलिंग उतपन्न हो गया और बाबा तिल भाण्डेश्वर के नाम से जाने गए. इसके अलावा विभांडक ऋषि जब यहां पहुंचे तो उन्हें तिल के खेतों के बीच दिव्य ज्योति दिखाई दी और उन्होंने यहां पूजन अर्चन शुरू किया.


गोरी की सेना को यहां से भागना पड़ा था..


कहा जाता है कि, गोरी ने जब काशी पर आक्रमण किया, तब उसकी सेना ने इस मंदिर को भी ध्वस्त करने का प्रयास किया. लेकिन भवरों के दल ने उन पर हमला बोल दिया. कहा जाता है कि, अंग्रेजी शासकों ने ये लिखा भी है कि यहां छेड़छाड़ न करना क्योंकि यहां दिव्य शक्ति है.


तिल भाण्डेश्वर मंदिर के पुजारी विनय शुक्ल ने बताया कि, पूरे श्रावण मास भोलेनाथ भव्य रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. भक्त इनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बाबा के दरबार मे रोजाना चार बार आरती होती है और हर सोमवार को इनका विशेष श्रृंगार होता है.


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