Unique Tradition : कैराना में सदियों पुरानी है एक अनोखी परंपरा, नगर में दौड़ता है काल और लोगों को पीटता है
Unique Tradition in Ramlila: शामली में रामलीला से पहले एक अनोखी पंरपरा है. यहां काल नगर में दौड़ता है और उसके पीछे हजारों की भीड़ दौड़ती है, और उससे मार भी खाती है.
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Unique Tradition in Ramlila of Kairana: काले रंग का आदमी जब दौडता है बाजार में उस के पीछे हजारों की भीड दौडती है, और मार भी खाती है, डर कर भी भागती है लोग उसे काल कहते हैं. कैराना में रामलीला से एक दिन पूर्व निकाला जाता है, काल जुलूस. सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखने में हिंदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी पूरी जिम्मेदारी से साथ निभा रहा है, और अजीबो गरीब प्रथा है, जिसे प्रसाद समझ कर लाग काल से मार खाते हैं व काले कपड़े करने के लोग पैसे देते हैं. काल जुलूस यहां हिदू मुस्लिम समुदाय के सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा है. कैराना की यह मिसाल इसीलिए आज भी बेमिसाल है.
काल का निकता है जुलूस
महाभारत काल में पानीपत की लड़ाई में जाते वक्त कर्ण ने जिस स्थान पर रात्रि में विश्राम किया था, उसका नाम कर्णनगरी पड़ गया था, जो अब बदल कर कैराना हो गया. सालों से चली आ रही परंपरा को देखना हो तो कभी कैराना आइए. शामली जनपद मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर स्थित कर्ण की इस नगरी में दोनों संप्रदाय के लोग देशभर में अनोखी मिसाल कायम कर दिखा रहे हैं, कैराना की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पूरे देश में देखने लायक है. हिंदू परंपरा के अनुसार, श्री रामलीला महोत्सव हर शहर में शुरू हो चुका है, लेकिन इसके बीच निकाले जाने वाले काल के जुलूस की परंपरा अब कहीं देखने को नहीं मिलती है. कैराना देश में एकमात्र ऐसा शहर है, जहां यह परंपरा आज भी जारी है. खास बात यह है कि, काल के इस जुलूस में मुस्लिम बढ़-चढ़कर भाग लेते और जुलूस निकलाते हैं. यही नहीं, जहां तक होता है, वहां तक सहयोग भी प्रदान करते हैं.
काल का किया जाता है श्रंगार
कैराना में रामलीला मंच का आयोजन कई सालों से किया जाता है. व्यक्ति को कले रंग में पोत कर काल बनाया जाता है. उस के हाथों में एक लकड़ी की तलवार भी बनाकर दी जाती है. जब उस का श्रंगार हो जाता है, तब वह व्यक्ति काली माता के मन्दिर में जाता है, और काली माता की पूजा करने के बाद काल नगर में निकल पडता है. भागता दौडता रहता है और लोगों को अपनी लकड़ी की तलवार से मारता भी है और जिस व्यक्ति के साफ कपड़े होते हैं, उन्हें पकड़ कर उनसे चिपक जाता है, और कपड़ों को काला भी कर देता है. इस अजीबो गरीब प्रथा से लोग मार भी खाते हैं और कपड़े भी काले करवाते हैं, फिर भी उस को कोई कुछ नहीं कहता, बल्कि लोग उसकी मार को भगवान का प्रसाद बताते हैं, और उसके बदले पैसे भी देते हैं.
रावण ने काल को बंदी बना लिया था
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि, रामायण काल में लंका के राजा रावण ने अपनी शक्ति के बल पर काल को बंदी बना लिया था. क्योंकि रावण को घमंड था कि जब काल ही उस का बंदी है तो उस का कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता. उसी परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू में ही काल को निकाला जाता है, जिसे बाद मे रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता है और जब भगवान श्री राम लंका पर चढाई कर रावण से युद्ध करते हैं, तब रावण के विनाश के लिए काल को भी मुक्त कराया गया था. शामली के कैराना में जहां 95% मुस्लिम बहुमुल्य क्षेत्र है, वहां एक अनोखी रामलीला होती है, करीब 91 वर्षों से रामलीला चल रही है. मुख्य बात यह है कि, जो रामलीला पहले होती थी उसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे.
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