जंग के बीच मुहब्बत की बेमिसाल कहानी: रूस के हमले के बाद भी यूक्रेन छोड़ने को तैयार नहीं है एक भारतीय छात्र, वजह जानकर दंग रह जाएंगे आप
जंग के बीच मुहब्बत की बेमिसाल कहानी:
ऋषभ कौशिक यूक्रेन (Ukraine) के खारकिव (kharkiv) के नेशनल यूनिवर्सिटी में साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. रूस के हमले के समय भी वो यूक्रेन में ही हैं. उन्होंने वहां से वापस भारत आने से इनकार कर दिया है. दरसअल ऋषभ अपने कुत्ते 'मालीबू' के बिना किसी भी कीमत पर वापस भारत आने को तैयार नहीं हैं.
ऋषभ कौशिक को कहां से मिला कुत्ता
उन्होंने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' अखबार से कहा कि मैंने अपने कु्त्ते के साथ वापस भौरत लौटने के लिए जरूरी सहमतियां लेने की कोशिश की, लेकिन इसमें मुझे सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने यह फैसला किया है कि अगर मेरा कुत्ता नहीं जाएगा, तो मैं भी नहीं जाउंगा. उन्होंने कहा कि वो जानते हैं कि यहां रहने में खतरा है, लेकिन वो अपने कुत्ते को छोड़ नहीं सकते हैं.
ऋषभ कौशिक 21 साल के हैं. उन्हें उनका कुत्ता 'मालीबू'पड़ोसी से मिला था. पड़ोसी उसे सड़क से बचा कर लाए थे. वो बताते हैं कि गुरुवार को जब रूस ने जब खारकिव पर हमला किया, उसके कुछ दिन पहले ही वो अपने कुत्ते के साथ राजधानी कीएव पहुंचे हैं.
कुत्ते के साथ भारत वापस आने के लिए क्या कर रहे हैं ऋषभ कौशिक
वो कहते हैं, ''मैंने मालीबू के साथ 23 फरवरी को खारिकव छोड़ा.उसे वहां छोड़ने का तो सवाल ही नहीं है.'' ऋषभ का परिवार देहरादून में रहता है. उनके परिवार ने उन्हें दुबई के रास्ते वापस भारत लाने की जरूरी कागजात और हवाई जहाज के टिकट की व्यवस्था 20 फरवरी को कर दी थी.
वो बताते है, ''मैंने उन्हें मना कर दिया और कहा कि मिलाबू के साथ हवाई जहाज में आने की इजाजत मिलने के बाद ही वो वापस आएंगे.'' वो कहते हैं कि भारी तनाव के बाद भी युद्ध नहीं होना चाहिए था. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हुआ. उन्होंने बताया कि कुत्ते के साथ उड़ने के लिए एनओसी हासिल करने की प्रक्रिया उन्होंने 20 फरवरी को शुरू की थी. इसके लिए उन्होंने भारतीय दूतावास को ईमेल भी भेजा था.
भारतीय दूतावास का रवैया कैसा है
ऋषभ बताते हैं, ''मेरे साथ मेरे कुत्ते के उड़ान भरने की परमिशन देने के लिए उन्होंने मुझसे कुछ कागजात मांगे. इतने कठिन हालात में भी मैंने उन्हें वो कागजात उपलब्ध कराए. लेकिन कुछ दिन बाद उन्होंने कुछ और कागजात की मांग की.यह उपलब्ध करा पाना मेरे लिए संभव नहीं था, क्योकि तबतक युद्ध शुरू हो चुका था.मैने उनसे मिन्नतें कि लेकिन उन्होंने इजाजत नहीं दी.''
वो कहते हैं, ''मेरी देखभाल करने के लिए मेरा परिवार है. लेकिन मालीबू का क्या.मैं ही उसका पूरा परिवार हूं.अगर मैंने उसको छोड़ दिया तो उसकी कोई देखभाल नहीं करेगा. अगर मैं उसे डॉक शेल्टर में छोड़ दूं तो मुझे पूरा विश्वास है कि युद्ध तेज होते ही, शेल्टर के मैनेजर अपनी जान बचाने के लिए उसे छोड़कर निकल जाएंगे.मैंने उसके देखभाल की जिम्मेदारी ली है. मैं उसकी देखभाल करुंगा, चाहे जो कुछ हो जाए.''
उनके पिता मधुकांत कौशिक कहते हैं, ''वह अपने कुत्ते को वहां छोड़ने के लिए किसी भी कीमत पर राजी नहीं है. हमें उम्मीद है कि हालात सामान्य होंगे और दोनों यूक्रेन छोड़कर वापस घर लौटेंगे.''