UP Assembly Election 2022: उन्नाव की एक ऐसी विधानसभा जो मशहूर शायर और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना हसरत मोहानी के नाम पर है. इस विधानसभा का नाम मोहान है. आजादी के बाद से हुए अब तक 17 विधानसभा चुनाव में कभी भी इस विधानसभा से सपा का प्रत्याशी जीतकर लखनऊ विधानसभा नहीं पहुंचा है. इस बार समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर आंचल वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. अब देखना यह होगा कि क्या इसबार इस विधानसभा से समाजवादी पार्टी का खाता खुलेगा. प्रदेश के चुनावी दंगल में राजनीतिक पार्टियां अपने अपने मजबूत कैंडिडेट पर दाव लगा रही हैं. 


कांग्रेस-बीजेपी से कौन मैदान में
उत्तर प्रदेश की सत्ता में कई बार सत्ता के सिंहासन पर सपा का राज रहा लेकिन उन्नाव की मोहान सीट पर सपा कभी नहीं काबिज हो पाई. सपा का यह सपना अभी तक अधूरा है. उन्नाव में चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है. इसको लेकर अब तक कांग्रेस ने मधू रावत को मैदान में उतारा है. मधु रावत के पति मुनेश्वर पुराने कांग्रेसी नेता हैं. बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक बृजेश रावत पर ही भरोसा जताते हुए उनको चुनावी मैदान में उतारा है. बृजेश रावत पेशे से शिक्षक हैं.


सपा-बसपा से कौन मैदान में
अगर समाजवादी पार्टी की बात की जाए तो इस बार पार्टी ने एक पढ़े-लिखे प्रत्याशी पेशे से डॉक्टर आंचल वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. आंचल वर्मा के पिता बनारस के अजगरा से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक कैलाश सोनकर हैं. बसपा ने सेवक लाल को प्रत्याशी बनाया गया है. सेवक लाल पूर्व बसपा विधायक राधेलाल के चचेरे भाई हैं. इनकी पत्नी सोना रावत हसनगंज से दो बार ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं और सेवक लाल खुद कस्टम विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं.


सपा का खाता तक नहीं खुला
मोहान विधानसभा के इतिहास की बात की जाए तो आजादी के बाद से अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में सपा का खाता नहीं खुला है. यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस, बीजेपी, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा जनता पार्टी के प्रत्याशियों को भी मौका दिया. सबसे पहले सन 1951 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1957 और 1962 में कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के प्रत्याशी जीते.1967 में जनता ने एक बार फिर कांग्रेस पर भरोसा जताया. 1969 और 1974 में फिर से दो बार कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया को जीत मिली.


कब कौन जीता
1977 में जनता ने चंद्रपाल के चेहरे पर जनता पार्टी को मौका दिया. 1980 में भिक्खालाल को फिर से कम्युनिस्ट पार्टी से जीत मिली और 1985 में बद्री प्रसद ने इंडियन नेशनल कांग्रेस से जीत हासिल की. इसके बाद इन पार्टियों का रुतबा कम हुआ और भारतीय जनता पार्टी के मस्तराम ने लगातार दो बार 1989 और 1991 में यहां का प्रतिनिधित्व किया. 1993 में जनता ने पहली बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामखेलावन को जीत दिलाई.


1996 के चुनाव में बीजेपी ने फिर से पलटी मारी और लगातार दो बार 1996 और 2002 में बीजेपी से मस्तराम विधायक बने. 2007 में जनता का रुख एक बार फिर से बदला और बसपा के राधेलाल रावत ने जीत दर्ज की जो कि लगातार दूसरी बार 2012 में भी विधायक बने. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने ब्रजेश रावत को मैदान में उतारा और ब्रजेश रावत ने जीत दर्ज की.


मोहान विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा-


-कुल मतदाता-332714
-पुरुष-181433
-महिला-151258
-अन्य-23


मोहान (पूर्व में हसनगंज) अब तक के विधायक


-1951 जटाशंकर इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1957          सजीवन लाल  कम्युनिस्ट पार्टी
-1962  भिक्खालाल कम्युनिस्ट पार्टी
-1967 एस राम इंडियन नेशनल कांग्रेस
-1969 सजीवन लाल कम्युनिस्ट पार्टी 
-1974  भिक्खालाल कम्युनिस्ट पार्टी
-1977  चंद्रपाल जनता पार्टी
-1980  भिक्खालाल कम्युनिस्ट पार्टी
-1985  बद्री प्रसाद इंडियन नेशनल कांग्रेस
-1989  मस्तराम भारतीय जनता पार्टी
-1991  मस्तराम भारतीय जनता पार्टी
-1993  रामखेलावन बहुजन समाज पार्टी 
-1996  मस्तराम भारतीय जनता पार्टी
-2002  मस्तराम भारतीय जनता पार्टी
-2007  राधेलाल बहुजन समाज पार्टी
-2012  राधेलाल बहुजन समाज पार्टी
-2017  ब्रजेश रावत भारतीय जनता पार्टी



मतदाताओं के जातिगत आकड़े (अनुमानित)
-मौर्या-25 हजार
-ब्राह्मण-18 हजार 
-क्षत्रिय-14 हजार
-वैश्य-11 हजार
-लोधी-21 हजार
-पाल-14 हजार
-निषाद-17 हजार
-शेष अन्य


हालांकि मोहान विधानसभा से किसकी जीत होगी यह तो आगामी 10 मार्च को ही पता चलेगा लेकिन सभी दल अपनी अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं.


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