एबीपी गंगा। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगी झांसी की समस्याएं अनेक हैं। रानी लक्ष्मी बाई के वीरता के किस्सों से जाना जाने वाला झांसी का युवा अपनी राह भटक रहा है। जिले की स्थानीय समस्याओं की बात करे तो यहां जुआ, सट्टा, शराब प्रमुख हैं। और तो और यहां दहेज जैसी कुप्रथा आज भी चलन में है। कई युवाओं ने जुआ और सट्टा को अपना पेशा बना लिया है। परेशान करने वाली बात यह भी है कि इस काले कारोबार में तमाम राजनेता भी शामिल हैं जो इसको संचालित करने का कार्य करते हैं। जुआ अपने-अपने इलाकों के दबंगों की सरपरस्ती में फल-फूल रहा है। इन समस्याओं की ओर नेताओं की बेरुखी इसे और गंभीर बना देती है। जिम्मेदार नेताओं के असहयोग के कारण समस्याएं विकराल रूप धारण कर रही हैं।
जोरों पर शराब का अवैध व्यापार
गांव हो या शहर अवैध शराब का काला व्यापार जोरों पर है। अनेक स्थानों पर अवैध शराब को बनाने और उसके वितरण का जाल फैला हुआ है। युवा पीढ़ी इस अवैध व्यापार की गिरफ्त में फंसती जा रही है। कहा जाता है कि दो दशक पहले गांव-गांव में दूध का उत्पादन बड़े पैमाने पर हुआ करता था, दूथ उत्पादन की जगह अब शराब ने ले ली है। शराब माफियाओं ने गांव-गांव तक अपना नेटवर्क फैला रखा है।
पलायन भी है अहम मुद्दा
वैसे तो जिले में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), रेलवे के दो वर्कशॉप, मंडल रेलवे, पारीछा थर्मल पॉवर प्लांट और सेना का बड़ा केंद्र है। हालांकि, इसके बावजूद जिले से युवाओं का पलायन बड़ी समस्या है। राजनेताओं की ओर से जिले में रोजगार के अवसर उपलब्ध ना करा पाना पलायन की मुख्य वजह है। बेरोजगारी के कारण ही युवा गलत राह पर चल रहे हैं।