कानपुर, एबीपी गंगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद देशभर में उत्साह का माहौल है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुये इसे निष्प्रभावी कर दिया। जनसंघ के समय यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शामिल था। इस एतिहासिक फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश के बड़े महानगर और व्यापारिक केंद्र कानपुर की भी भूमिका रही है। आपको बता दें साल 1952 में जनसंघ का पहले अधिवेशन में जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाये जाने संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया था। यही नहीं इस अधिवेशन में कहा गया था कि इस देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं होने चाहिये। तत्कालीन अध्यक्ष डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को आजाद कराने का संकल्प किया था। उन्होंने कश्मीर से प्रजा परिषद के अध्यक्ष पंडित प्रेमनाथ डोगरा को भी बुलाया था।


1952 में हुआ था जनसंघ का पहला अधिवेशन


जनसंघ के पहले अधिवेशन की बात करें तो यह कानपुर में  साल 1952 में 29 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था। इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बलराज मधोक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय कुशाभाऊ ठाकरे,नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी जैसे दिग्गज शामिल थे।



फूलबाग में हुये अधिवेशन में डा. मुखर्जी ने प्रजा परिषद के आंदोलन को सही ठहराया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि शेख अब्दुल्ला और पंडित नेहरू जम्मू-कश्मीर में दमन की नीति अपना रहे हैं।