प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में ऑनलाइन आवेदन की त्रुटि सुधारने की अनुमति देने से इंकार करते हुए 4 दिसंबर 2020 के शासनादेश को वैध करार दिया है. कोर्ट ने शासनादेश को विभेदकारी मानने से इंकार करते हुए कहा कि यह नियम 14 के विपरीत नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने पवन कुमार व 26 अन्य सहित कई याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर के ओझा, एच एन सिंह, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व मुख्य स्थायी अधिवक्ता विपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि विज्ञापन में ही लिखा है कि ऑनलाइन आवेदन की प्रविष्टि अंतिम होगी. उसमे संशोधन की अनुमति नहीं दी जायेगी. अभ्यार्थियों ने भी जितने अंक पर चयनित कर नियुक्ति की गयी है उसको स्वीकार किया है. चयन क्वालिटी प्वाइंट मार्क से जिला वरीयता मेरिट के आधार पर किया गया है.
कोर्ट ने कहा कि यदि भर्ती के बीच में आवेदन में दर्ज प्रविष्टि को दुरूस्त करने की अनुमति दी गयी तो पूरी प्रक्रिया (डिरेल हो) पटरी से उतर जायेगी. कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को 4 दिसंबर के शासनादेश के अनुसार मूल्यांकन कर कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि कुल 4 लाख 31 हजार 466 आवेदन आये, जिसमें से 4 लाख 9 हजार 530 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे और क्वालिटी प्वाइंट मार्क से 1 लाख 46 हजार 60 अभ्यर्थी योग्य घोषित किये गये हैं. यदि निर्देशों का पालन करने में गलती करने वालो को सुधारने की छूट दी गयी तो चयनित अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफ़ी होगी.
प्रत्येक चयनित अभ्यर्थीयों ने जितने अंक हैं उसी आधार पर नियुक्ति को स्वीकार किया है. चयन व नियुक्ति जिला वरीयता की मेरिट के आधार पर की गयी है. कोर्ट के इस फैसले से चयन प्रक्रिया की अड़चन खत्म हो गयी है.