Agriculture Digital Lab in Bulandshahr: बुलंदशहर में 110 करोड़ रुपये की लागत से किसानों के लिए एग्रीकल्चर डिजिटल लैब स्थापित किया जाएगा. जिला पंचायत अध्यक्ष डॉक्टर अंतुल तेवतिया के बुलावे पर ऑस्ट्रेलिया से बुलंदशहर पहुंचे वैज्ञानिकों ने जिला पंचायत सभागार में डेमोंसट्रेशन दिया. उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया कि एग्रीकल्चर डिजिटल लैब कैसे काम करती है. डिजिटल एग्रीकल्चर लैब में रोग, इंसेक्ट और पेस्ट का पता लगाने के लिए फसल की स्कैनिंग की जाएगी. स्कैनिंग से फसल की बीमारी, अच्छी पैदावार के लिए उपयोगी जमीन का समाधान निकलेगा. मेलबर्न से आये वैज्ञानिक माइकल कॉस और डॉ हर्ष वर्धन ने बताया कि किसानों को शत प्रतिशत अच्छी फसल के साथ जनपद में लोगों को रोजगार भी मिलेगा.


एग्रीकल्चर डिजिटल लैब की मिलेगी सौगात


जिला पंचायत अध्यक्ष अंतुल तेवतिया ने कहा कि मेलबर्न यूनिवर्सिटी से इंडियन ऑस्ट्रेलियन काउंसिल के बीच प्रोग्राम को शेड्यूल करते हैं. बुलंदशहर में हमारा छोटा सा प्रयास है कि 110 करोड़ की लागत से एक लैब बनवाएं. लैब में फसल की बीमारी और कीटनाशकों का चेकअप हो पाएगा. एमआरआई और सीटी स्कैन से पता चलता है कि शरीर के किस अंग में बीमारी है. उसी तरह से उन फसलों का भी स्कैन होगा. स्कैन होने के बाद पता चलेगा कि किस प्रकार का इन्फेक्शन या किस प्रकार की बीमारी है या कोन सा कीड़ा फसल को लगा है और उससे कैसे निपटा जा सकता है, या उस फसल से कितनी पैदावार होगी, किस क्वालिटी की फसल होगी.


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किसानों का आर्थिक नुकसान होगा कम


आने वाले समय में एग्रीकल्चर डिजिटल लैब बहुत उपयोगी साबित होगा. किसानों को फायदा होने के साथ साथ युवाओं को भी रोजगार मिलेगा. ऑस्ट्रेलिया से आए डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि लैब से पौधा बनते ही कमी, इंफेक्शन का पता कर सकते हैं. इससे किसानों की साल भर की मेहनत बचेगी. किसान को पहले ही पता चल जाएगा कि फसल की क्या गुणवत्ता है. इस तकनीक से पौधे को जमीन में डालने से पहले ही पता किया जा सकता है. इससे किसान को आर्थिक नुकसान से भी बचाया जा सकता है. लैब डाटा कलेक्ट करती है. डाटा से पता चल जाता है कि भारत में हम किस तरह के पौधे को कहां पर लगाएं जिससे अच्छी पैदावार मिले. बहुत सारी जानकारी किसान को समय से पहले ही मिल जाएगी और आने वाले समय को अच्छी फसल उगाने में इस्तेमाल कर सकेगा. 


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