अलीगढ़: मिला 100 साल पुराना मंदिर, हिंदू पक्ष का दावा- 'हनुमान मंदिर अपने मूल स्वरूप में नहीं'
UP News: मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने के बाद, सबसे पहला कदम परिसर की सफाई और शुद्धिकरण था. हर्षद हिंदू, अंकुर शिवाजी और विशाल देशभक्त ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सफाई अभियान चलाया.
Aligarh News: अलीगढ़ के थाना देहली गेट इलाके के मुस्लिम घनी आबादी सराय मियां क्षेत्र में स्थित दूसरे प्राचीन 100 वर्ष पुराने ऐतिहासिक हनुमान मंदिर के मिलने की सूचना पर दर्जनों हिंदूवादियों के द्वारा आज वहां जाकर पुनः स्थापना के साथ मंदिर का शुद्धिकरण किया है. यह मंदिर कई वर्षों से अवैध कब्जे और उपेक्षा का शिकार बताया गया था. हिंदूवादियों का आरोप था इसकी वजह से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को आघात पहुंचा था.
लंबे समय से यह प्राचीन हनुमान मंदिर अपने मूल स्वरूप में नहीं था. अवैध कब्जे के कारण मंदिर परिसर में गंदगी और उपेक्षा का वातावरण बन गया था. यह स्थिति न केवल धार्मिक आस्था के लिए चुनौती थी, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी खतरा थी. ऐसे में स्थानीय हिंदूवादियों ने इसे पुनः स्थापित किया है. वहीं दूसरी इस अभियान की अगुवाई पूर्व मेयर शकुंतला भारती, सामाजिक कार्यकर्ता विनय वार्ष्णेय, अतुल राजाजी, अंकुर शिवाजी, विशाल देशभक्त, हर्षद हिंदू, जुबिन वार्ष्णेय, और मन्नू पंडित ने की. इन लोगों ने इस मुहिम से लोगों को जोड़ने और मंदिर को कब्जा मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने के बाद, सबसे पहला कदम परिसर की सफाई और शुद्धिकरण था. हर्षद हिंदू, अंकुर शिवाजी और विशाल देशभक्त ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सफाई अभियान चलाया. इसके बाद शुद्धिकरण प्रक्रिया के तहत हवन और आरती का आयोजन किया गया. इस पवित्र अनुष्ठान का उद्देश्य मंदिर के आध्यात्मिक माहौल को पुनः जीवंत करना था.इस पहल में स्थानीय हिंदूवादियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. मंदिर के पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापन में सभी ने मिलकर योगदान दिया.
विशाल देशभक्त ने मंदिर की पुनर्स्थापना धार्मिक दृष्टि से अहम है
हनुमान मंदिर की पुनर्स्थापना केवल धार्मिक पहल नहीं थी, बल्कि यह क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को भी संरक्षित करने का प्रयास था. मंदिर को उसके मूल स्वरूप में वापस लाने से न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती मिली, बल्कि यह स्थानीय इतिहास और परंपरा का संरक्षण भी था. मन्दिर में हुए शुद्धिकरण ने यह संदेश दिया कि जब लोग मिलकर किसी अच्छे उद्देश्य के लिए काम करते हैं, तो बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है. मंदिर को कब्जा मुक्त कराना न केवल धार्मिक आस्था की बहाली थी, बल्कि समाज में सहयोग, सद्भाव, और एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करने वाला कदम था.
अलीगढ़ के इस प्राचीन हनुमान मंदिर की पुनर्स्थापना न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह पहल यह दर्शाती है कि जब सामुदायिक भागीदारी और नेतृत्व का समन्वय होता है, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है. मंदिर का पुनर्निर्माण न केवल धार्मिक स्थल को पुनर्जीवित करने का कार्य था, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक प्रयास था.
स्थानीय मुस्लिम युवक ने कब्जे की बात को नकारा
अलीगढ़ के मुस्लिम युवक उमेर के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया मंदिर पर किसी भी तरीके का मुस्लिम समुदाय के द्वारा कोई कब्जा नहीं कर रखा था. लोगों के द्वारा यहां पूजा अर्चना करना छोड़ दिया था. जिसकी वजह से यह मंदिर काफी समय से बंद पड़ा हुआ था. कुछ लोगों के द्वारा सिर्फ दिखावे के लिए सारी चीज की जा रही है. मंदिर को मुद्दा बनाया जा रहा है. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है बहुत सारे ऐसी मंदिर है, जिन पर आज भी पूजा अर्चना नहीं होती है. यह लोग पूजा अर्चना करें हमें इस बात से कोई परहेज नहीं है हमारे लिए कोई भी मदद बनती है, तो हम करने को तैयार है.
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