UP News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश बोर्ड ( Uttar Pradesh Board) के पाठ्यक्रम के लिए संदर्भ पुस्तक के तौर पर उपयोग में आने वाली पुस्तकें बेचने वाले कुछ पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से प्रदेश के शिक्षा अधिकारियों को रोक दिया है.
हालांकि, अदालत ने यह शर्त लगाई है कि विक्रेता इन संदर्भ पुस्तकों को उत्तर प्रदेश बोर्ड द्वारा निर्धारित और एनसीईआरटी द्वारा मंजूर पाठ्यक्रम पुस्तकों के रूप में ना पेश करते हों. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश कॉपीराइट का उल्लंघन करने या किसी अपराध के लिए व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने के लिए नहीं है.
शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी
मेसर्स राजीव प्रकाशन एंड कंपनी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उमेश चंद्र शर्मा की पीठ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद और अन्य शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किया.
अदालत ने उन्हें 29 जुलाई, 2022 को जारी निर्देश के लिए अपना कानूनी अधिकार बताने को कहा. यह निर्देश मिर्जापुर (Mirzapur) के जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा पारित किया गया था. जिसमें कहा गया था कि, राज्य के सभी पुस्तक विक्रेता निजी प्रकाशकों की संदर्भ पाठ्य पुस्तकें नहीं बेच सकते और वे केवल माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा अधिकृत पुस्तकें ही बेचेंगे.
21 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 21 नवंबर, 2022 निर्धारित की है. साथ ही अपने आदेश में कहा, प्रथम दृष्टया आकलन पर प्रकाशकों की उन पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती, जो संदर्भ पुस्तकों के तौर पर विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो सकती हैं. यद्यपि इन्हें बोर्ड द्वारा कोर्स के लिए निर्धारित या मंजूर पाठ्य पुस्तकों के तौर पर प्रचारित नहीं किया जा सकता.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय ने दलील दी कि प्रथम दृष्टया मिर्जापुर के जिला विद्यालय निरीक्षक का निर्देश छह जुलाई, 2022 को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी आदेश से आया निर्देश प्रतीत नहीं होता. क्योंकि बोर्ड ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि एनसीईआरटी से कापीराइट लेने के बाद निर्धारित पाठ्य पुस्तकों की पाइरेसी नहीं हो. जिसे छापने का लाइसेंस तीन प्रकाशकों को दिया गया है.