UP Ambulance Strike: अनट्रेंड ड्राइवरों से मरीजों की जान खतरे में, स्ट्रेचर तक नहीं खोल पा रहे हैं
यूपी में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल जारी है. इस बीच उन्नाव जिला प्रशासन ने आनन फानन में नये ड्राइवरों को एम्बुलेंस चलाने के लिए रख लिया है, लेकिन इन्हें तमाम तकनीकी पहलुओं की जानकारी नहीं है.
Ambulance Strike in Unnao: उत्तर प्रदेश में 108, 102 और एएलएस एंबुलेंस सेवा के कर्मियों ने हड़ताल जारी है. इसके चलते आकस्मिक सेवा के मरीजों को अस्पताल लाने में बड़ी समस्याएं हो रही हैं. हड़ताल न समाप्त करता देख उन्नाव जिला प्रशासन ने हड़ताली एंबुलेंस कर्मियों से एंबुलेंस की चाबी लेकर नए ड्राइवरों को एंबुलेंस चलाने का काम दे दिया. नए ड्राइवर एंबुलेंस चलाने और मरीजों को सुविधावपूर्वक लाने ले जाने के लिए पूरी तरीके से अनट्रेंड हैं. इन एम्बुलेंस में सिर्फ चालक ही है, दूसरा कोई ट्रेंड मेडिकल स्टाफ भी इन गाड़ियों में तैनात नहीं हुआ है. जिस कारण मरीजों को लाने और ले जाने में उनके साथ होने वाले व्यवहार की कुछ तस्वीरें पिछले दो दिनों से लगातार देखने को मिल रही हैं.
अनट्रेंड ड्राइवर बने खतरा
उन्नाव जिला प्रशासन ने आनन फानन में नए और अनट्रेंड ड्राइवरों से एम्बुलेंस चलवानी तो शुरू कर दी, लेकिन उसके दुष्परिणाम एम्बुलेंस से आने वाले मरीजों को जान जोखिम में डालकर भुगतने पड़ रहे हैं. दो दिन से जिस तरह की तस्वीरें निकलकर सामने आ रही हैं, वो खुद ही बता रही हैं कि, ये एम्बुलेंस मरीजों के लिए जीवनदायिनी नहीं बल्कि जीवन लेने वाली बनती जा रही हैं.
पहला केस- स्ट्रेचर खोलना नहीं आता
इसके तहत, नए और अनट्रेंड ड्राइवर को मरीज को अस्पताल ले जाने और एम्बुलेंस का स्ट्रेचर खोलना तक नहीं बताया गया है. मरीज को एम्बुलेंस से उतारते समय स्ट्रेचर के व्हील नहीं खोले गए, जिससे बुरी तरह से चुटहिल मरीज उतारने के दौरान स्ट्रेचर समेत जमीन पर गिर पड़ता है, जिसे आस पास खड़े लोगों ने उठवाया. यही नहीं, मरीज को चढ़ाई जा रही वाइल की बोतल को पकडने वाला कोई नहीं है.
दूसरा केस-
वहीं, एक मामले में चाकुओं से गोदकर घायल किये गए एक शख्स को अस्पताल लाकर पैदल ही इमरजेंसी ले जाया जा रहा है, जबकि घायल व्यक्ति चलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है. घायल व्यक्ति चाकुओं के कई वार से बुरी तरह से घायल है, जबकि एम्बुलेंस में स्ट्रेचर रखा साफ तौर पर दिख रहा है, लेकिन जानकारी के अभाव में ये अनट्रेंड ड्राइवर कुछ कर नहीं पा रहे हैं.
तीसरा केस
इस मामले में सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को एम्बुलेंस द्वारा जिला अस्पताल लाया गया है. जहां घायल का पैर बुरी तरह से चुटहिल है और पैर से लगातार खून बह रहा है. एम्बुलेंस में जहां इस घायल को प्राथमिक उपचार मिलना चलिए, लेकिन नहीं मिला. वजह है कि, इन गाड़ियों में ड्राइवर तो लगा दिए गए हैं लेकिन गाड़ियों में मरीजों की जान बचाने के लिए त्वरित प्रयास करने वाले ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) की तैनाती नहीं की गई है.
चौथा मामला
इस केस में शख्स एम्बुलेंस चलाने की कोशिश कर रहा है, इसे जिला प्रशासन और एआरटीओ द्वारा मुहैया करवाया गया है. लेकिन यह शख्स एम्बुलेंस के दौरान बैक गियर नहीं लगा पा रहा, जिससे एम्बुलेंस पीछे नहीं हो पा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि, जो ड्राइवर एम्बुलेंस में बैक गियर नहीं लगा पा रहा है वो सड़क पर एम्बुलेंस सुरक्षित ढंग से कैसे चलाएगा.
बहरहाल इन मामलों ने जीवन दायनी एम्बुलेंस के जुगाड़ू व्यवस्था के तहत किये जा रहे संचालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि इन तस्वीरों में मरीजों और घायलों को अस्पताल लाने और उन्हें एम्बुलेंस से उतारने के दौरान भारी लापरवाही सामने दिख रही है. अगर इन स्थितियों में मरीज की जान जाती है तो जिम्मेदार कौन होगा. क्या सिर्फ एम्बुलेंस में ड्राइवर लगाकर संचालन करने से एम्बुलेंस संचालन का उद्देश्य पूरा हो पायेगा. जो ड्राइवर एम्बुलेंस में बैक गियर नहीं लगा पा रहा, वो सड़क पर सुरक्षित एम्बुलेंस चलाएगा, इसकी क्या गारंटी है. अगर इन लोगों से एम्बुलेंस चलवानी ही है, तो कम से कम इन्हें पहले कुछ बेसिक प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे मरीजों की जान बच सके, या फिर एम्बुलेंस सिर्फ यह सोंच कर चलाई जा रही कि बस घायलों/मरीजों को समान समझ कर सिर्फ किसी तरह अस्पताल पहुंचाना है.
सीएमओ की सफाई
वहीं, इस पूरे मामले में सीएमओ उन्नाव का कहना है कि, 108, 102 एम्बुलेंस गाड़ियों में एक ईएमटी भी होता है जिसे इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन कहा जाता है, जो बहुत से वापस काम पर आ गए हैं, और जीवीके कंपनी भी लगी हुई है. मैंने अपने सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित कर दिया है कि उनके पास पुरुष सीएचओ, अतिरिक्त वार्ड बॉय और आरबीएसके टीम से एक पैरा मेडिकल उपलब्धता के आधार हो सके तो इनको तैनात किया जाए. जिससे जनता को परेशानी न हो. वहीं, ड्राइवरों द्वारा एम्बुलेंस बैक न कर पाने के सवाल पर सीएमओ डॉक्टर सत्यप्रकाश ने बताया कि सभी ड्राइवर एआरटीओ और जिला प्रशासन द्वारा मुहैया करवाये गए हैं, सभी ट्रेंड ड्राइवर हैं, जिनको लेकर मेरा कमेंट करना उचित नहीं है.
ये भी पढ़ें.
पति से तंग आकर पत्नी ने रची थी हत्या की साजिश, पुलिस ने किया हैरान करने वाला खुलासा