Ambulance strike in UP: उत्तर प्रदेश में इस वक्त एंबुलेंस चालक हड़ताल पर हैं. अपनी मांगों को लेकर पहले GVK कंपनी और फिर सरकार से नाराजगी जता चुके एंबुलेंस चालक किसी की भी सुनने को तैयार नहीं हैं. इधर मरीजों का बुरा हाल हो रहा है लेकिन एंबुलेंस चालक अपनी हड़ताल से टस से मस होने को तैयार नहीं है.
हड़ताली एंबुलेंस चालक और मेडिकल टेक्नीशियन अब कानपुर से लखनऊ का रुख कर रहे हैं. अपनी इस लड़ाई को और धार देने के लिए आज कानपुर में 81 एंबुलेंस में काम करने वाले 316 कर्मचारी लखनऊ पहुंचेंगे. सरकार से इनकी समान कार्य समान वेतन, ठेका प्रथा को खत्म करने और 9 एंबुलेंस कर्मियों के शहीद होने पर उनको उचित मुआवजा देने की मांगों पर यह एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर अड़े हुए हैं.
हड़ताली एंबुलेंस चालकों का साफ तौर पर यह कहना है कि उन्हें ₹12029 वेतनमान मिलता है जबकि मेडिकल टेक्नीशियन को ₹12700 जबकि कंपनी को 21000 से कुछ ज्यादा पैसा सरकार के द्वारा दिया जाता है. अब वह इस दोहरे रवैए को झेलने के लिए राजी नहीं है. साल 2019 में भी उनको आश्वासन दिया गया था लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. उनका PF और ESIC का पैसा कटता है लेकिन अगर उनको ज़रूरत पड़ती है तो उनका ठीक से इलाज भी नहीं किया जाता. कानपुर में एम्बुलेंस चालकों के नेता शांतनु पांडेय का कहना है कि अबकी बार उनकी लड़ाई निर्णायक होगी.
सरकार का रुख सख्त होता जा रहा है
सरकार को उनकी हालत को देखते हुए मांगों को मान लेना चाहिए. उन्हें भी समान कार्य और समान वेतन मिलना चाहिए. ठेका प्रथा का बन्द करके उन्हें NHM में समायोजित किया जाना चाहिए. इसके अलावा कोरोना काल में इनके जो साथी अपनी जान गंवा चुके हैं उन कोरोना योद्धाओं को 50 लाख रुपये देकर उनके परिजनों को बड़ी राहत देनी चाहिए. बहरहाल सरकार का रुख सख्त होता जा रहा है. वहीं कानपुर स्वास्थ्य विभाग ने भाड़े पर टेम्पो, लोडर और डाला चलाने वाले ड्राइवरों को एम्बुलेंस चलाने के लिए रख लिया है लेकिन ये ड्राइवर मरीज को अस्पताल के गेट पर छोड़कर चले जा रहे हैं.
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