UP Assembly Bypoll 2024: उत्तर प्रदेश की हाथरस लोकसभा सीट से बीजेपी के अनूप प्रधान की जीत के बाद अब अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट खाली हो गई है. अनूप प्रधान खैर सीट से विधायक थे और यूपी में राजस्व मंत्री की ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे. उनके इस्तीफे के बाद खैर सीट पर उपचुनाव होने होंगे. जिसके लिए बीजेपी की ओर से अभी से तैयारियां तेज हो गई है और कई दावेदारों के नाम भी सामने आ रहे हैं. 

 

अलीगढ़ की खैर विधानसभा सुरक्षित सीट होने की वजह से इस सीट पर चुनाव दिलचस्प हो जाता है. बीजेपी की ओर से दावेदारों की लिस्ट में पहला नाम पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर का है. सुरेंद्र दिलेर ने यहां उपचुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. 

 

राजवीर दिलेर का इस क्षेत्र में अच्छा दबदबा रहा है. साल 2019 के चुनाव में उन्होंने हाथरस सीट से काफी मार्जिन से जीत दर्ज की थी. लेकिन, इस बार उनका टिकट कट गया, जिसकी वजह से उन्हें सदमा लगा था और चुनाव के बीच हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया. माना जा रहा है कि बीजेपी सिंपेथी के लिए उनके बेटे सुरेंद्र दिलेर को टिकट दे सकती है. 

 

विधानसभा खैर का इतिहास

खैर विधानसभा सीट सुरक्षित होने के बावजूद यहां जाट वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं. मौजूदा समय में भाजपा ने रालोद का किला ढहाकर  ये सीट छीनी थी. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और लोकदल तीन-तीन बार, दो बार जनता दल और एक बार बसपा प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं. 2017 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 

 

खैर सीट का जातीय समीकरण

खैर विधानसभा सीट पर 2022 के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 378196 थी, जिनमें 204583 पुरुष और 173613 महिला वोटर शामिल हैं. इस क्षेत्र में 1.10 लाख जाट, ब्राह्मण 50 हजार, दलित 40 हजार, मुस्लिम 30 हजार, वैश्य 25 हजार और अन्य 25 हजार वोटर्स हैं. 

 

विधानसभा खैर आजादी के बाद 1957 में अस्तित्व में आई. टप्पल और अब खैर विधानसभा सीट पर जाट बहुल होने के कारण चौधरियों का कब्जा रहा है. इसी वजह से इसे जिले का दूसरा जाटलैंड भी कहा जाता है. इस सीट पर साल 2002 में ब्रेक लगी जब बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के दम पर ब्राह्मण नेता प्रमोद गौड़ ने जीत दर्ज की. 2007 में रालोद के चौ. सत्यपाल सिंह ने जीत दर्ज की. ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद से दो बार से इस सीट से एससी विधायक चुनकर जाते रहे हैं. 

 

जानें- कब-कौन रहा विधायक?

साल 1952 में पहली बार इस सीट से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहनलाल गौतम विधायक बने थे, 1957 में इसे अलग टप्पल सीट का दर्जा मिला और कांग्रेस नेता चौ. देवदत्त सिंह ने जीत दर्ज की. अगले चुनाव में उन्हें  खेड़ा गांव किशनगढ़ के दूसरे जाट नेता चौ. महेंद्र सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर हरा दिया. साल 1967 में कांग्रेस के प्यारेलाल विधायक बने. 

 

- 1967 में कांग्रेस से चौ. प्यारेलाल (खैर विधानसभा क्षेत्र बना)

- 1969 में भारतीय क्रांति दल से चौ. महेंद्र सिंह

- 1974 में कांग्रेस से चौ. प्यारेलाल

- 1977 में जेएनपी से चौ. प्यारेलाल

- 1980 में कांग्रेस से चौ. शिवराज सिंह

- 1985 में लोकदल से चौ. जगवीर सिंह

- 1989 में जनता दल से चौ. जगवीर सिंह

- 1991 में बीजेपी से चौ. महेंद्र सिंह

- 1993 में जनता दल से चौ. जगवीर सिंह

- 1996 में भाजपा से ज्ञानवती सिंह पुत्री चौ. चरण सिंह

- 2002 में बसपा से प्रमोद गौड़

- 2007 में रालोद से चौ. सत्यपाल सिंह

- 2012 में रालोद से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी

- 2017 और 2022 में बीजेपी से अनूप प्रधान ने चुनाव जीता.