UP Assembly bypoll: उम्मीदवारों के चयन में सहानुभूति और जातीय समीकरण पर बीजेपी का जोर
बीजेपी के लिए यह चुनाव अत्यंत प्रतिष्ठा का है क्योंकि 2017 में इनमें छह सीटों पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले माह सात सीटों पर होने वाला विधानसभा उप चुनाव सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है क्योंकि इनमें से छह सीटों पर उसी का कब्जा था. बीजेपी ने अपनी पकड़ बरकरार रखने के लिए विपक्ष में विभाजन का फायदा उठाने के साथ सहानुभूति लहर और जातीय समीकरणों का फायदा उठाने की कोशिश की है. टिकट बंटवारे से उसकी यह रणनीति देखी जा सकती है.
उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था. बीजेपी का सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से अब गठबंधन टूट गया है. विपक्षी दल इस बार उप चुनाव में अपने प्रत्याशी उतार रहे हैं इसलिए बीजेपी को मतों में बिखराव की उम्मीद है.
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक कहते हैं, ''संगठन की जनता के बीच मजबूत पकड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास कार्यों से बीजेपी सभी सीटों पर जीतेगी. विपक्ष तो आपस में ही लड़कर खत्म हो जाएगा.'' बीजेपी ने मंगलवार को नौगांव सादात में संगीता चौहान, बुलंदशहर में उषा सिरोही, टुंडला में प्रेमपाल धनगर, बांगरमऊ में श्रीकांत कटियार, घाटमपुर में उपेंद्र पासवान और मल्हनी में मनोज सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है. सिर्फ देवरिया सीट के लिए अभी मंथन चल रहा है.
बीजेपी की सहानुभूति का कार्ड खेलने की कोशिश
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि बीजेपी ने नौगांव सादात में प्रदेश सरकार में मंत्री रहे चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान और बुलंदशहर में विधानसभा में मुख्य सचेतक रहे वीरेंद्र सिरोही की पत्नी उषा सिरोही को उम्मीदवार बनाकर सहानुभूति का कार्ड खेलने की कोशिश की है. राज्य सरकार में मंत्री रहे चेतन चौहान और श्रीमती कमल रानी वरुण का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया जबकि कई बार के विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री वीरेंद्र सिरोही का बीमारी के चलते निधन हो गया.
बहरहाल, घाटमपुर में सरकार की मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के बाद उनके परिवार के किसी को उम्मीदवार न बनाकर कानपुर-बुंदेलखंड के बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र पासवान को टिकट दिया है. बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि यहां परिवार और विरासत की बजाय कार्यकर्ता को महत्व दिया गया है. टुंडला सुरक्षित सीट पर प्रेमपाल धनगर संगठन के पदाधिकारी रह चुके हैं जबकि मल्हनी के उम्मीदवार मनोज सिंह इलाहाबाद विश्वविद़्यालय की छात्र राजनीति से आए हैं. बांगरमऊ के उम्मीदवार श्रीकांत कटियार तो बीजेपी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं.
राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टुंडला और घाटमपुर सीट पर गैर जाटव कार्ड खेलने की कोशिश की है. विश्लेषकों के अनुसार बीजेपी घाटमपुर में पासवान बिरादरी और टुंडला में धनगर बिरादरी की अच्छी तादाद का लाभ उठाने की जुगत में है. टुंडला सीट प्रदेश सरकार में मंत्री रहे प्रोफेसर एसपी बघेल के आगरा से सांसद निर्वाचित होने से रिक्त हुई है. देवरिया सीट जनमेजय सिंह और मल्हनी सीट सपा के पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई है.
सिर्फ मल्हनी सीट सपा के कब्जे में रही
बीजेपी ने जहां नौगांव सादात और मल्हनी में क्षत्रिय उम्मीदवार के सहारे इस वर्ग पर नजर लगाई वहीं बुंदशहर में जाट समीकरण पर जोर है. बांगरमऊ सीट पर बीजेपी ने श्रीकांत कटियार को मौका देकर पिछड़ों को साधने पर जोर दिया है. श्रीकांत पिछड़ी जाति में प्रभावी कुर्मी समाज से आते हैं. उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पिछले हफ्ते सातों सीटों के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग से संवाद स्थापित कर चुके हैं.
बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह बुधवार को अमरोहा जिले की नौगांव सादात और गुरुवार को बुलंदशहर विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करेंगे. बीजेपी के लिए यह चुनाव अत्यंत प्रतिष्ठा का है क्योंकि 2017 में इनमें छह सीटों पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी. सिर्फ मल्हनी सीट सपा के कब्जे में रही.
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