UP Vidhan Sabha: यूपी की विधानसभा (UP Assembly) में शुक्रवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा, क्योंकि आज विधानसभा में अदालत लगेगी और कटघरे में कोई और नहीं पुलिसकर्मी (UP Police) होंगे. इतना ही नहीं अगर इन्हें कारावास की सजा दी गई तो उन्हें विधानसभा के अंदर ही बनी जेल (Jail) में भी भेजा जा सकता है. इससे पहले 1962 में यूपी विधानसभा में ऐसा नजारा देखने को मिला था. चलिए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है. और इसके पीछे की कहानी क्या है. 


असल में 2004 की सपा सरकार के समय बिजली कटौती के मामले को लेकर सतीश महाना (वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष) कानपुर में धरने पर बैठे थे. उस समय प्रशांत त्रिवेदी कानपुर के डीएम हुआ करते थे. करीब 3-4 दिन के धरने के बाद सतीश महाना तत्कालीन डीएम प्रशांत त्रिवेदी से मिलने गए तो दोनों के बीच विवाद हो गया. इसके बाद सतीश महाना उनके सामने ही धरने पर बैठ गए. इस धरने को जब 4 दिन बीत गए तो भाजपा ने तय किया था कि अलग अलग विधानसभाओं से लोग जुलूस बनाकर उनके धरने में समर्थन के लिए पहुंचेंगे.


उस समय पार्टी के तमाम विधायक व नेता उनके समर्थन में जा रहे थे तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. इस लाठीचार्ज में उस समय विधानसभा सदस्य रहे सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी और वो महीनों बेड पर रहे. इसके बाद सलिल विश्नोई ने 25 अक्टूबर 2004 को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना दी. एबीपी गंगा से फोन पर बात करते हुए सलिल विश्नोई ने बताया कि सदन की विशेषाधिकार समिति में करीब डेढ़ साल सुनवाई हुई जिसके बाद इन पुलिसकर्मियों को सर्वसम्मति से दोषी पाया गया था लेकिन आज तक सजा नही हुई थी.


कठघरे में होंगे ये 6 तत्कालीन पुलिसकर्मी
इस मामले में 28 जुलाई 2005 को हुई संस्तुतियों पर 18वीं विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक हाल ही में 1 फरवरी 2023 और 27 फरवरी 2023 को हुई. जिसमें तत्कालीन दोषी पुलिसकर्मियों को कारावास का दंड देने की संस्तुति हुई. अब इस मामले में आज विधानसभा सदन में सुनवाई होगी. इस दौरान विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में 6 पुलिसकर्मी कटघरे में खड़े होंगे और सदन सुनवाई करेगा. इस सुनवाई में अगर इन पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई तो वहीं से उन्हें जेल भेजा जा सकता है.


इन पुलिस कर्मियों में तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद, तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को कारावास की सजा पर सुनवाई होगी. 


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