यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022)की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. गठबंधन बन बिगड़ रहे हैं. राजनीतिक दल चुनावी वादे और दावे कर रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री पद के चेहरों पर चर्चा जोरों पर चल रही है. अभी तक की चर्चाओं के मुताबिक सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी. सपा (Smajwadi party)की ओर से अखिलेश यादव  (Akhilesh Yadav)और बसपा (BSP)की ओर से मायावती (Mayawati) मुख्यमंत्री पद की दावेदार होंगी. कांग्रेस (Congress)ने प्रियंका (Priyanka Gandhi) को चुनाव में चेहरा तो बनाया है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि वो चुनाव लड़ेंगी या नहीं. आइए अब यह जानते हैं कि ये चारों नेता विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं और उनका अबतक का राजनीतिक सफर कैसा रहा है.


बीजेपी के योगी आदित्यनाथ 


बीजेपी ने 2017 में योगी आदित्नाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. उस समय वो गोरखपुर के लोकसभा सांसद थे. शपथ लेने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधानसभा के किसी भी सदन की सदस्यता लेनी थी. ऐसे में उन्होंने विधान परिषद का रास्ता चुना. योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे. 26 साल के योगी आदित्यनाथ उस समय लोकसभा के सबसे युवा सदस्य थे. वो 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी गोरखपुर से लोकसभा के लिए चुने गए. कुछ दिन पहले ही अमित शाह ने एक बार फिर यह साफ किया कि अगला चुनाव भी पार्टी योगी के चेहरे पर लड़ेगी. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि योगी चुनाव लड़ेगे या नहीं. हालांकि राजनीतिक हल्के में उनके चुनाव लड़ने की संभावना भी जताई जा रही है. लेकिन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले पार्टी के फैसले का इंतजार करना होगा.


UP Assembly Election 2022: अखिलेश यादव के चुनाव न लड़ने के पीछे की राजनीति क्या है?


सपा के अखिलेश यादव


सोमवार को एक खबर तेजी से वायरल हुई कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव नहीं लेड़ेंगे. लेकिन बाद में सपा ने यह साफ किया कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. और अखिलेश के चुनाव लड़ने या न लड़ने पर पार्टी फैसला लेगी. 2012 के चुनाव में सपा के पास मुलायम सिंह यादव, आजम खान और शिवपाल सिंह यादव जैसे चेहरे थे. लेकिन इस बार सपा के लिए अखिलेश ही चेहरा हैं. अभी जो राजनीतिक हालात हैं, उमसें इस बात की संभावना कम है कि अखिलेश यादव चुनाव लड़ें. दरअसल वो अपनी पार्टी के एकमात्र स्टार प्रचारक हैं. अगर वो चुनाव में उलझ गए तो पार्टी का चुनाव अभियान प्रभावित होगा. 2012 में सरकार बनाने के बाद अखिलेश ने विधान परिषद की ही सदस्यता ली थी. सपा पश्चिम बंगाल से भी सबक ले रही है. जहां ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज तो की. लेकिन ममता बनर्जी ही हार गईं. बाद में उन्हें उपचुनाव लड़ना पड़ा. 


बसपा की मायावती 


बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती विधानसभा का चुनाव लड़ती रही हैं. साल 1996 का चुनाव उन्होंने सहारनपुर हरोड़ा और बदायूं की बिल्सी सीट से लड़ा था. बाद में उन्होंने बिल्सी सीट छोड़ दी थीं. वहीं 2002 का चुनाव उन्होंने अंबेडकरनगर के जहांगीरगंज और हरोड़ा से लड़ा था. उन्हें दोनों सीटों पर जीत मिली थी. बाद में उन्होंने जहांगीरजंग से इस्तीफा दे दिया और हरोड़ा सीट अपने पास रखी थी. लेकिन इसके बाद उन्होंने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा. साल 2007 में जब पहली बार बसपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी तो उन्होंने विधान परिषद में रहकर सरकार चलाई. 
इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि मायावती चुनाव न लड़ें. 


कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा


कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान में प्रियंका गांधी वाड्रा को अपना चेहरा बनाया है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी या नहीं. उन्होंने पिछले महीने लखनऊ में मीडिया से कहा था. अभी उन्होंने चुनाव लड़ने पर कोई फैसला नहीं किया है. उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार भी नहीं किया था. उनका कहना है कि आगे चीजे-चीजे जैसे होंगी, उसी के मुताबिक वो इस पर फैसला करेंगी. इससे पहले प्रियंका गांधी चुनाव में मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र तक ही खुद को सीमित रखती थीं. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो राजनीति में सक्रिय हुईं. कांग्रेस ने उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया. पश्चिम की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास थी. लेकिन उनके बीजेपी जाने के बाद से पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी प्रियंका के पास है.  


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