UP Election 2022: पिता अखिलेश सिंह की तरह कांग्रेस से बगावत के बाद रायबरेली सदर में अदिति सिंह का विजय रथ थमेगा या दौड़ेगा
UP Election 2022: रायबरेली सदर सीट पर अखिलेश सिंह का कब्जा रहा है. पहले उन्होंने 2017 में यहां से अपनी बेटी को कांग्रेस के टिकट पर जितवाया था. अब अदिति भी पिता की तरह कांग्रेस से बगावत कर बैठी हैं.
उत्तर प्रदेश में रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) रायबरेली (Raebareli) से ही सांसद हैं. इसी लोकसभा सीट की एक विधानसभा सीट है रायबरेली सदर. पूरे रायबरेली में भले ही कांग्रेस का सिक्का चलता हो. लेकिन इस सीट पर अखिलेश सिंह की ही चलती थी. कैंसर से पीड़ित होने से पहले तक वो इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे. लेकिन जब सेहत ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी गद्दी बेटी को सौंप दी. अखिलेश सिंह का प्रभाव ही था कि उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर (UP Assembly Election) में भी बेटी अदिति सिंह को रायबरेली सदर सीट से चुनाव जितवा दिया. लेकिन बाद में अदिति सिंह के कांग्रेस से संबंध खराब हो गए. उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी से नजदीकियां बढ़ा लीं. ठीक उसी तरह जैसे उनके पिता ने किया था.
अखिलेश सिंह का जलवा
अदिति के पिता अखिलेश सिंह 1993 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. उसी के साथ उन्होंने 1996 और 2002 का चुनाव भी जीता. लेकिन 2003 में मतभेद होने पर उन्होंने कांग्रेस को टाटा कह दिया. वो 2007 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे. उन्होंने 2012 का चुनाव पीस पार्टी के टिकट पर जीता था. उस साल के चुनाव में अखिलेश को हराने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता जुटे हुए थे. लेकिन जब परिणाम आया तो रायबरेली की 5 में से 4 विधानसभा सीटें तो कांग्रेस ने जीत लीं. लेकिन रायबरेली सदर सीट पर अखिलेश सिंह को हरा पाने का उनका सपना साकार नहीं हो पाया.
राम मंदिर निर्माण के लिये कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह आगे आईं, चंदे में दिये 51 लाख रुपये
अखिलेश सिंह और अदिति सिंह का रायबरेली में प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी को सबसे अधिक 1 लाख 23 हजार 43 वोट रायबरेली सदर सीट में ही मिले थे.
बाद में अखिलेश सिंह को कैंसर हो गया. इसके बाद अमेरिका से पढ़ाई और लंदन में नौकरी करके आईं अदिति सिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करने लगीं. इस दौरान वो प्रियंका गांधी से मिलीं और कांग्रेस में शामिल हो गईं. इसी के साथ उनके पिता की अखिलेश सिंह की भी कांग्रेस में वापसी हुई. कांग्रेस ने अदिति सिंह को टिकट दिया. और वो जीतीं. उन्होंने बसपा के शाहबाज खान को 89 हजार 163 वोटों के विशाल अंतर से हराया. अखिलेश सिंह का अगस्त 2019 में निधन हो गया था.
अदिति सिंह की बगावत
अदिति सिंह के संबंध कांग्रेस से बहुत दिन तक मधुर नहीं रहे. खटपट होने के बाद अदिति सिंह ने कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ जाकर बीजेपी सरकार के कदमों का समर्थन करना शुरू कर दिया. उन्होंने जम्मू कश्मीर से 370 हटाने का समर्थन किया. लॉकडाउन में जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए बसें भेजीं तो अदिति सिंह ने इसके लिए प्रियंका गांधी की आलोचना कर डाली. इससे कांग्रेस काफी असहज हो गई. इसके बाद कांग्रेस ने अदिति सिंह की सदस्यता खत्म करने की अपील विधानसभा अध्यक्ष के यहां की. लेकिन उन्होंने जुलाई 2020 में कांग्रेस की याचिका रद्द कर दी.
अब रायबरेली में चर्चा है कि अदिति सिंह निर्दल या बीजेपी के टिकट पर 2022 का चुनाव लड़ सकती हैं.
कांग्रेस विधायक अदिति सिंह का सोनिया गांधी पर निशाना, रायबरेली में गैरमौजूदगी पर उठाए सवाल