![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
UP Election: पहले चरण में कैराना विधानसभा सीट पर हुई सबसे अधिक वोटिंग, क्या हैं इसके सियासी मायने
UP Election 2022: साल 2017 के चुनाव में भी कैराना विधानसभा सीट पर 69.56 फीसदी मतदान हुआ था. सपा के नाहिद हसन ने बीजेपी की मृगांका सिंह को 21 हजार 162 मतों से हराया था.
![UP Election: पहले चरण में कैराना विधानसभा सीट पर हुई सबसे अधिक वोटिंग, क्या हैं इसके सियासी मायने UP Assembly Election 2022 Analysis of Voting Pattern of Kairana Assembly Seat UP Election: पहले चरण में कैराना विधानसभा सीट पर हुई सबसे अधिक वोटिंग, क्या हैं इसके सियासी मायने](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/11/8163bc0cdcf316fb879a53d104154f90_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022)के पहले चरण का मतदान (Voting) गुरुवार को हुआ. चुनाव आयोग के मुताबिक इस दौर में 62.08 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला. सबसे अधिक 75.12 फीसदी मतदान शामली जिले की कैराना सीट पर हुआ. मतदान का यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, जो कि सामान्य वोटिंग से 13 फीसदी से अधिक है. आइए जानते हैं कि कैराना में इतना अधिक मतदान क्यों हुआ और क्या हैं इसके मायने.
कैराना में पिछले चुनाव में कितना हुआ था मतदान
साल 2017 के चुनाव में भी कैराना विधानसभा सीट (Kairana Assembly Seat)पर पहले चरण में ही मतदान हुआ था. उस समय 69.56 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था. इस चुनाव में सपा के नाहिद हसन (Nahid Hasan) ने बीजेपी की मृगांका सिंह (Mriganka Singh)को 21 हजार 162 मतों से हराया. नाहिद को 98 हजार 830 और मृगांका को 77 हजार 668 वोट मिले थे. इस बार पिछले चुनाव की तुलना में 5.56 फीसदी अधिक वोट पड़ा है.
UP Election 2022: आजम खान को लेकर CM योगी ने अखिलेश यादव पर साधा निशाना, कब्रिस्तान पर कही ये बात
दरअसल कैराना उत्तर प्रदेश की वह जगह है, जहां बीजेपी ने 2017 के चुनाव से पहले बीजेपी ने धार्मिक ध्रुवीकरण की शुरुआत की थी. उस समय के बीजेपी के सांसद हुकुम सिंह ने आरोप लगाया कि कैरान से 346 हिंदू परिवारों का पलायन करना पड़ा है. हालांकि जांच में उनका आरोप साबित नहीं हो पाया. इसके बाद भी कैराना से हिंदुओं का पलायान एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया. योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर ऐसा ही रहा तो कैराना कश्मीर बन जाएगा. इस बार भी उन्होंने कैराना और कश्मीर की तुलना की थी. बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया. लेकिन उसे इसका फायदा नहीं मिला. हुकुम सिंह के निधन की वजह से हुए लोकसभा उपचुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.
पलायन को कैराना में मुद्दा क्यों बनाती है बीजेपी
साल 2022 के चुनाव में भी बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया. योगी आदित्यनाथ ने कैराना पहुंचकर कथित तौर पर पलायन करने वाले हिंदू परिवारों से मुलाकात की. वहीं अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में अपने चुनाव अभियान की शुरूआत ही कैराना से की. वो वहां घर-घर जाकर पर्चे बांटते देखे गए. इस दौरान शाह ने कहा था कि कैराना में पलायन कराने वाले पलायन कर गए. योगी आदित्यनाथ ने हापुड़ में गर्मी निकालने वाला बयान भी मुजफ्फरनगर और कैराना के संबंध में ही दिया था.
Uttarakhand Election 2022: अल्मोड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले- कांग्रेस की नीति रही है- 'सबमें डालो फूट, मिलकर करो लूट'
कैराना में बीजेपी ने एक बार फिर मृगांका सिंह पर ही भरोसा जताया है. वहीं सपा ने अपने विधायक नाहिद हसन को ही टिकट दिया. बसपा के टिकट पर राजेंद्र सिंह उपाध्याय और कांग्रेस के टिकट पर अखलाक चुनाव मैदान में थे. नाहिद हसन की उम्मीदवारी घोषित होते ही पुलिस ने 15 जनवरी को उन्हें एक पुराने में मामले गिरफ्तार कर लिया.
कैसी है कैराना की लड़ाई
नाहिद की गिरफ्तारी के बाद प्रचार की जिम्मेदारी उनकी बहन इकरा हसन ने संभाल ली थी. अधिक मतदान पर इकरा का कहना था कि उन्हें भरोसा है कि लोग उनका समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि कैराना में उनके लिए चुनौती मृगांका सिंह नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी है, जिसका दुरुपयोग हुआ है. दरअसल कैराना की लड़ाई बीजेपी और सपा की लड़ाई से अधिक दो राजनीतिक घरानों की लड़ाई है.
यह इलाका मुस्लिम और जाट बहुत है. ऐसे में अधिक वोटिंग का फायदा सपा-रालोद गठबंधन को मिल सकता है. लेकिन यह कितना फायदेमंद है, इसका पता लगाने के लिए हमें 10 मार्च तक का इंतजार करना होगा, जब विधानसभा चुनाव के नजीते आएंगे.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. अमित सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/8c07163e9831617114971f5a698471b5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)