उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के पहले चरण का मतदान गुरुवार को संपन्न हो गया. चुनाव आयोग (Election Commission) के मुताबिक पहले चरण में 62.08 फीसदी मदतान हुआ. इस चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान हुआ. आइए देखते हैं कि इन सीटों पर पिछले 3 चुनावों में कितने फीसदी मतदान हुआ था और इस मतदान के मायने क्या हैं. 


पहले चरण की सीटों पर पहले कितना हुआ था मतदान


पहले चरण में 11 जिलों की जिन 58 सीटों पर मतदान हुआ था, उन पर 2017 में 63.75 और 2012 में 61.03 फीसदी मतदान हुआ था. दरअसल कम मतदान को सत्ता परिवर्तन की लहर के रूप में देखा जाता है. उत्तर प्रदेश में हम इसे 2017 और 2012 के चुनाव में देख भी सकते हैं. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की दिशा पश्चिम उत्तर प्रदेश से ही तय होती है.    


जिन 58 सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ उनमें से 53 सीटें बीजेपी ने 2017 के चुनाव में जीती थीं. वहीं बसपा और सपा के खाते में 2-2 सीटें आई थीं. इस बार सपा की सहयोगी आरएलडी केवल एक सीट जीत पाई थी. बीजेपी जिन 5 सीटों पर हारी थीं, उनमें से 4 पर वह दूसरे नंबर पर रही थी. 


कृषि कानून और किसानों का आंदोलन का असर क्या होगा


नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का प्रदेश में सबसे अधिक असर पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही रहा. राकेश टिकैत ने भी खुलकर कहा था कि उन्होंने बीजेपी को वोट किया था. किसान आंदोलन की वजह से इस बार वो बीजेपी के खिलाफ हैं. इस बार जाटों को बीजेपी के खिलाफ बताया जा रहा है. जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से करीब 2 दर्जन सीटों पर जाट आबादी करीब 35 फीसदी है.   


इस बार पहले चरण के चुनाव में मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन के बीच माना जा रहा है. बसपा ने इसे त्रिकोणीय बनाया. कांग्रेस भी कहीं-कहीं मुकाबले में है. 


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2017 में बीजेपी इस इलाके में कितना जीती थी?


साल 2017 के चुनाव में बीजेपी के जीत की राह भी इसी पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाके से निकली थी. बीजेपी ने पहले इसी इलाके में बढ़त बनाई थी और पूरे प्रदेश में बढती चली गई थी. उसने इन 58 में से 53 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसे उस समय की अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ लहर का परिणाम माना गया था. वहीं 2012 में इन सीटों पर 61.03 फीसदी मतदान हुआ था. उस समय भी इतने कम मतदान को उस समय की मायावती सरकार के खिलाफ माना गया था. यह बात सच भी साबित हुई थी. अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सत्ता पर काबिज हुई थी. वहीं अगर 2007 के चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में इन सीटों पर केवल 48.26 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव के बाद भी सपा की मुलायम सिंह यादव की सरकार को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी. 


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अब 2022 के चुनाव में आखिर कम मतदान के मायने क्या रहे हैं, इसके लिए हमें 10 मार्च तक का इतंजार करना होगा, जब प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे.