UP Election 2022: बिहार की सफलता के बाद ओवैसी को यूपी में भी नजर आई उम्मीद, एआईएमआई की सफलता से किसे होगा नुकसान
UP Election 2022: एमआईएम ने अबतक 72 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. ये वो सीटें हैं जहां मुसलमान वोट अच्छी-खासी संख्या में हैं. पार्टी ने इस बार 8 हिंदुओं को भी टिकट दिया है.
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर गुरुवार को हुए हमले के बाद से वो चर्चा के केंद्र में हैं. उनकी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. एमआईएम ने अबतक 72 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. ये वो सीटें हैं जहां मुसलमान वोट अच्छी-खासी संख्या में हैं. पार्टी ने इस बार 8 हिंदुओं को भी टिकट दिया है.
एआईएमआईएम का यूपी में सफर
बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में एमआईएम को मिली सफलता के बाद से पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपनी सक्रियकता बढ़ा दी थी. बिहार में ओवैसी की पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं. उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए एआईएमआईएम ने वामन मेश्राम के भारतीय मुक्ति मोर्चा और पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी जन अधिकार पार्टी के साथ मिलकर भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाया है.
हैदराबाद के सांसद की पार्टी उत्तर प्रदेश में पिछले कई साल से सक्रिय है. इसने 2017 का चुनाव 38 सीटों पर लड़ा था. उसे कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली थी. पार्टी को 0.24 फीसदी वोट मिले थे. पार्टी की केवल एक सीट पर ही जमानत बची थी. यह सीट थी संभल, जहां एमआईएम के उम्मीदवार जियाउर रहमान 59 हजार 336 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर आए थे. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार डॉक्टर अरविंद को 59 हजार 976 वोट मिले थे. सपा के इकबाल महमूद 79 हजार 248 वोट पाकर चुनाव जीते थे. वहीं बीते साल हुए पंचायत चुनाव में एमआईएम ने जिला पंचायत की 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
सिरे नहीं चढ़ी ओवैसी की विपक्षी एकता
असदुद्दीम ओवैसी पिछले काफी समय से उत्तर प्रदेश का लगातार दौरा कर रहे हैं. यूपी में सक्रियता बढ़ाने के साथ ही उन्होंने राज्य के कुछ विपक्षी नेताओं से मेलजोल बढ़ाना भी शुरू किया था. इनमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओप्रकाश राजभर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव और आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद प्रमुख थे. लेकिन इसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला.
ओवैसी अपने उत्तर प्रदेश दौरे में दिए जाने वाले भाषणों में सपा और बीजेपी पर समान रूप से हमले करते हैं. हालांकि विपक्ष में शामिल दल उनपर मुस्लिम वोटों का बंटवारा करने वाला बताते हैं. इस वजह से वो ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताते हैं. बीते साल सितंबर में ओवैसी ने आरोप लगाया था कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद अखिलेश यादव की सरकार ने मुकदमें शुरू कर दिए होते तो योगी आदित्यनाथ की सरकार उन्हें 77 मामले वापस नहीं ले पाती. उनका यह भी आरोप है कि सपा उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का स्वतंत्र नेतृत्व नहीं चाहती है.
कितनी सीटों पर टक्कर में है एआईएमआईएम
एमआईएम के एक वरिष्ठ नेता ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि वो कम से कम 10 सीटों पर कड़ी टक्कर देंगे. इन सीटों में उन्होंने बहराइच की नानपारा, अयोध्या की रूदौली, सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज, साहरनपुर देहात, गाजियाबाद की साहिबाबाद और मेरठ की सिवाल खास का नाम लिया.
असदुद्दीन ओवैसी की लोकप्रियता में सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान काफी इजाफा हुआ. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी बढ़ी हुई लोकप्रियता वोटों में इजाफा करती है या नहीं. एमआईएम की सफलता समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी. क्योंकि सपा का आधार बोट बैंक भी मुसलमान ही हैं. इसमें फायदा बीजेपी को हो सकता है.