UP Election 2022: राजनीति के बाहुबली- मुख्यमंत्री बनने के आधे घंटे बाद ही मुलायम सिंह ने हटाया था राजा भैया से पोटा, मायावती ने भेजा था जेल
UP Election 2022: प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से 1993 से निर्दलीय जीत रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बनाया है. उनका कहना है कि यह पार्टी 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार एक नई पार्टी भी ताल ठोकेगी. इसका नाम है, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक. इसे बनाया है प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया ने. दबंग छवि वाले राजा भैया कुंडा से 1993 से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं. वह भी बिना किसी दल के सहयोग के. वह पहली बार 1993 में वो कुंडा के विधायक चुने गए थे. उसके बाद से भदरी रियासत का यह राजकुमार कुंडा में अपराजेय है. राजा भैया के खिलाफ प्रतापगढ़ के कुंडा और महेशगंज पुलिस थाने के साथ-साथ प्रयागराज, रायबरेली और राजधानी लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं के तहत कुल 47 मामले दर्ज हैं.
पिछले चुनाव में राजा भैया ने किसको हराया था
राजा भैया ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जानकी शरण को 1 लाख 3 हजार 647 वोट के अंतर से हराया था. राजा भैया को 1 लाख 36 हजार 597 और जानकी शरण को 32 हजार 950 वोट मिले थे. यह जीत उत्तर प्रदेश के विधानसभा में सबसे अधिक वोटों के अंतर से हुई जीतों में दूसरे नंबर पर थी.
राजा भैया को अपना साम्राज्य चलाने में कभी कोई मुश्किल नहीं आई. उनकी उत्तर प्रदेश की हर सरकार के साथ हमेशा से अच्छे संबंध रहे, सिवाय मायावती के. मायावती जब 2002 में मुख्यमंत्री बनीं तो उनकी सरकार ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर 2002 को राजा भैया को गिरफ्तार करवा दिया. राजा भैया, उनके पिता और चचेरे भाई पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) की धाराएं लगाई गई थीं. सरकार ने राजा भैया के 600 एकड़ में फैले तालाब को कब्जे में लेकर अभ्यारण्य घोषित कर दिया था. राजा भैया की जेल की बैरक में एके-47 राइफल मिलने के बाद सरकार ने उन्हें 7 अलग-अलग जेलों में रखा. राजा भैया के संबंधों का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बीजेपी अपने विधायक को छोड़कर राजा भैया के साथ खड़ी थी.
किस मुख्यमंत्री की सरकार ने राजा भैया को पहुंचाया सलाखों के पीछे
राजा भैया की मुश्किलें मायावती के इस्तीफे से ही कम हुईं. अगस्त 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे बाद ही मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया से पोटा हटाने का आदेश जारी कर दिया. इसके बाद वो जेल से अस्पताल पहुंचा दिए गए. इस दौरान ही उन्होंने अपने जुड़वा बेटों का मुंह देखा, जो उनके जेल जाने के बाद पैदा हुए थे. बाद में राजा भैया को मुलायम सरकार में खाद्यान मंत्री बनाया गया. लेकिन 2005 में सुप्रीम कोर्ट और पोटा रिव्यू कमेटी ने राजा भैया और उनके पिता से पोटा हटाने का आदेश रद्द कर उनपर दोबारा मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इसके बाद राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वो नवंबर, 2005 में एक बार फिर गिरफ्तार कर लिए गए. एक महीने बाद जमानत मिलने पर वो जेल से बाहर आए और मुलायम सिंह की सरकार में उन्हें फिर मंत्री पद मिला. राजा भैया को 'कुंडा का गुंडा' बताने वाले कल्याणा सिंह ने भी उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाया था.
राजा भैया का जलवा अखिलेश यादव की सरकार में भी कायम रहा. अखिलेश यादव की सरकार में राजा भैया को पहले जेल विभाग मिला. लेकिन विवाद होने पर उन्हें खाद्य और रसद मंत्री बना दिया गया. वो 2013 में उस समय मुश्किल में पड़ते नजर आए, जब उन पर डीएसपी जियाउल हक की हत्या का आरोप लगा. यह आरोप हक की पत्नी ने लगाया था. राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई से जांच करवाई. इसमें राजा भैया बरी हो गए.
योगी आदित्यनाथ की सरकार में राजा भैया का जलवा
अखिलेश यादव की सरकार जाने पर राजा भैया का जलवा रत्ती भर भी कम नहीं हुआ. अपराध और अपराधियों का विरोध कर मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ शपथ लेने के एक महीने बाद ही राजा भैया के साथ मंच साझा करते नजर आए. मौका था 17 अप्रैल 2017 को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिन पर एक किताब के विमोचन का. राजा भैया मुख्यमंत्री के ठीक बगल में खड़े थे. योगी सरकार ने अपराधियों और माफियों के खिलाफ कार्रवाई का दावा किया. लेकिन जिन पर कार्रवाई हुई, उस लिस्ट में राजा भैया का नाम नहीं था.
एक बार फिर जब उत्तर प्रदेश में राजनीति की बिसात बिछाई जा रही है तो लोगों को राजा भैया की याद आ रही है. लेकिन इस बार वो राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में यूपी के चुनाव मैदान में होंगे. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन वहां से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी, जहां योगी आदित्यनाथ उम्मीदवार होंगे.