(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फिर आई कैराना की याद, जानिए क्या है इतिहास
UP Election 2022: हिंदुओं के पलायान का मुद्दा उछालने के बाद भी बीजेपी यह सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में नहीं जीत पाई. उसे सपा से मात खानी पड़ी. आइए जानते हैं कि क्या है इस विधानसभा सीट का इतिहास.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) सोमवार को कैराना (KAIRANA) पहुंचे. वहां उन्होंने उन परिवारों से मुलाकात की, जो सांप्रदायिक दंगों के बाद यहां से पलायन कर गए थे. दावा किया जा रहा है कि योगी सरकार ने उन्हें वापस लाकर फिर बसाया है. इन परिवारों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात यह दिखाती है कि बीजेपी (BJP) अपने हिंदुत्व के मुद्दे पर कायम है या पांच साल सरकार चलाने के बाद भी उसे ही हवा दे रही है. आइए जानते हैं कि कैराना विधानसभा (UP Assembly Election) का राजनीतिक इतिहास क्या रहा है. कैराना पश्चिम उत्तर प्रदेश के शामली जिले की 3 विधानसभा सीटों में से एक है. यह विधानसभा सीट 1995 में अस्तित्व में आई थी.
हिंदुओं का पलायन नहीं बना चुनावी मुद्दा
मुस्लिम बहुल कैराना का विधानसभा में सबसे अधिक समय तक हुकुम सिंह ने प्रतिनिधित्व किया. कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले हुकुम सिंह मरते समय बीजेपी में थे. वो इस सीट से 1974 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे.
हुकुम सिंह ने कैराना का 1977, 19980, 1980 में भी प्रतिनिधित्व किया. वो 1977 में जनता पार्टी, 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) और 1985 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था. उन्होंने 1996 के चुनाव में एक बार फिर कैराना से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की. वो 2014 में लोकसभा का सांसद चुने जाने के बाद तक इस सीट से विधायक रहे. उनके इस्तीफे के बाद कराए गए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन ने बीजेपी के अनिल कुमार को 1 हजार 99 वोट के अंतर से हराया था.
हुकुम सिंह रहे हैं यहां के सबसे बड़े नेता
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने नाहिद हसन को एक बार फिर हराया. वहीं बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया. नाहिद 98 हजार 830 वोट पाकर विजयी रहे थे. मृगांकका को 77 हजार 668 वोट ही मिले थे. राष्ट्रीय लोकदल के अनिल कुमार 19 हजार 903 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे.
इससे पहले 2012 के चुनाव में बीजेपी के हुकुम सिंह ने बसपा के अनवर हसन को 19 हजार 543 वोट के अंतर से हराया था. हुकुम सिंह को 80 हजार 293 और अनवर हसन को 60 हजार 750 वोट मिले थे.