UP Election 2022: वोट की खातिर उछाले जा रहे हैं जिन्ना, राजा महेंद्र प्रताप, मिहिर भोज सहित कई नाम, इस रेस में शामिल हैं सभी दल
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में अबतक राजा महेंद्र प्रताप सिंह, मिहिर भोज, मोहम्मद अली जिन्ना, चंद्रगुप्त मौर्य और जिन्ना तक की इंट्री हो चुकी है. आने वाले दिनों में कुछ और नाम उछाले जाएगें.
![UP Election 2022: वोट की खातिर उछाले जा रहे हैं जिन्ना, राजा महेंद्र प्रताप, मिहिर भोज सहित कई नाम, इस रेस में शामिल हैं सभी दल UP Assembly Election 2022 BJP coin Jinnah mahendra pratap singh name for vote bank politics UP Election 2022: वोट की खातिर उछाले जा रहे हैं जिन्ना, राजा महेंद्र प्रताप, मिहिर भोज सहित कई नाम, इस रेस में शामिल हैं सभी दल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/11/15/409a39b4efbc2947c281122900bf3a68_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) अगले साल होने हैं. लेकिन राज्य में चुनाव का माहौल पिछले कई महीने से बना हुआ है. प्रदेश के हर चुनाव में कुछ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय किरदारों की इंट्री होती रहती है. इन किरदारों के आधार पर राजनीतिक दल अपनी वोट की रोटी सेंकते हैं. इस बार के चुनाव में भी यह काम जारी है. अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) को जाट बताने और सम्राट मीहिर भोज (Mihir Bhoaj) की प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाने से शुरु हुई यह राजनीति जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) से लेकर चंद्रगुप्त मौर्य और सिकंदर तक पहुंच चुकी है. दरअसल सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) इन गुमनाम नायकों और ऐतिहासिक किरदारों के नाम पर अपना वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
वोट बैंक की राजनीति कौन कर रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर को अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया. इस अवसर पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जाट पहचान को उभारने की कोशिश की गई. कांग्रेस से राजनीति शुरू करने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह को बीजेपी ने जाट वोटों के लिए अपना बनाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि किसान आंदोलन की वजह से जाट बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 सिंतबर को गौतम बुद्ध नगर के दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया. लेकिन अनावरण से पहले उनकी प्रतिमा के शिलापट से गुर्जर शब्द हटा दिया गया. इसका गुर्जर समाज ने काफी विरोध किया. उन्होंने इसे अपना अपमान बताया. हालांकि बीजेपी के एक राज्यसभा सांसद ने शिलापट पर गुर्जर शब्द फिर से जुड़वा दिया है. इसको लेकर राजपूत और गुर्जर समाज में विवाद है. दोनों समुदाय मिहिर भोज पर दावा करते हैं. गुर्जर पश्चिम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा और राजस्थान में बड़ा वोट बैंक है.
मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर विवाद
यह मामला अभी थमा भी नहीं था कि अखिलेश यादव ने 31 अक्तूबर को हरदोई में अपने भाषणा में जिन्ना का नाम ले लिया. उन्होंने उन्हें जिन्ना को महात्मा गांधी और सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसा ही स्वतंत्रता सेनानी बता दिया था. इसको लेकर बीजेपी अखिलेश पर हमलावर हो गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सीधे अखिलेश पर हमला बोला. और जिन्ना प्रेमियों को पाकिस्तान जाने की सलाह दे डाली. इस लड़ाई में सपा के सहयोगी सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर भी कूद पड़े. उन्होंने कह दिया कि अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री बना दिया गया होता तो देश का बंटवारा नहीं होता.
जिन्ना विवाद अभी चल ही रहा था कि यूपी की राजनीति में चंद्रगुप्त मौर्य-सिकंदर की एंट्री हो गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 नवंबर को बीजेपी के मौर्य-कुशवाहा सम्मेलन को संबोधित किया. इसमें योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इतिहास ने चंद्रगुप्त मौर्य को महान नहीं बताया, बल्कि सिकंदर, जो उनसे हारा था उसे महान बता दिया. इस मामले में हकीकत यह है कि चंद्रगुप्त की सेल्युकस से लड़ाई हुई थी, सिकंदर से नहीं. ईसापूर्व 301-305 में हुआ यह युद्ध सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस ने लड़ा था.
पिछड़े वर्ग पर है बीजेपी की नजर
राजनीति के जानकारों का कहना है कि योगी आदित्यान नाथ ने चंद्रगुप्त मौर्य का नाम ऐसे ही नहीं उछाला है. दरअसल मौर्य-कुशवाहा समाज के लोग खुद को चंद्रगुप्त मौर्य से जोड़ते हैं. इसलिए वो मौर्य टाइटल भी लगाते हैं. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कुशवाहा समाज के बड़े नेता हैं. बीजेपी ने पिछले कुछ चुनावों से गैर यादव पिछड़े वर्ग पर ध्यान लगाया है. इसमें उसे सफलता भी मिली है. यूपी के करीब 1 दर्जन जिलों में मौर्य-कुशवाहा समाज की आबादी 10 फीसदी से अधिक है. इसी को ध्यान में रखते हुए चंद्रगुप्त मौर्य का नाम उछाला गया है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिछले दिनों आजमगढ़ गए थे. वहां उन्होंने एक विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था. अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने फैसला किया है कि इस विश्वविद्यालय का नाम राजा सुहेलदेव के नाम पर होगा. आजमगढ़ सपा प्रमुख अखिलेश यादव का चुनाव क्षेत्र है. राजा सुहेलदेव को राजभर समाज के लोग अपना राजा मानते हैं. राजभर समाज के नेतृत्व का दावा करने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) करती है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सपा ने सुभासपा से समझौता किया है. आजमगढ़ में विश्वविद्यालय का नाम सुहेलदेव के नाम पर करके बीजेपी राजभर और अन्य पिछड़ी जातियों के वोट बैंक में हिस्सेदारी की कोशिश की है.
Ballia News: बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह के बिगड़े बोल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को बताया जिन्ना
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)