उत्तर प्रदेश के चुनाव में ब्राह्मणों एक बड़ा फैक्टर होता है. इस जाति को कोई भी राजनीतिक दल नाराज नहीं करना चाहता है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टियां अधिक से अधिक ब्राह्मण नेताओं को अपनी ओर तरफ करना चाहती हैं. सत्ताधारी बीजेपी ने ब्राह्मणों को अपनी तरफ बनाए रखने के लिए एक समिति बनाई है. यह समिति प्रदेश के सबी 403 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मणों से संपर्क कर उन्हें यह बताने की कोशिश करेगी कि बीजेपी सरकार ने उनके लिए क्या-क्या किया है. 


कैसी है योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली?


उत्तर प्रदेश बीजेपी इस बात से इनकार कर सकती है कि योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की वजह से ब्राह्मणों में निराशा है. लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बात को गंभीरता से लिया है. शीर्ष नेतृत्व ने ब्राह्मणों को यह संदेश देने के लिए कि बीजेपी की सरकारों ने हमेशा से ब्राह्मणों के हितों के लिए काम किया है एक पहल की है. 


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केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदेश के ब्राह्मण नेताओं के साथ एक बैठक की. उन्होंने प्रदेश की सभी 403 सीटों पर ब्राह्मणों तक पहुंच बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है. इसमें राज्य सभा में प्रमुख सचेतक शिव प्रताप शुक्ल, महेश शर्मा, अभिजीत मिश्र और गुजरात के सांसद रामभाई मोकारिया को शामिल किया गया है. इसमें लखीमपुर के सांसद अजय मिश्र टेनी को भी शामिल किया जा सकता है. मिश्र के बेटे पर लखीमपुर की हिंसा में शामिल होने का आरोप है. 


क्या है ब्राह्मणों की नाराजगी?


दरअसल पिछले साल जुलाई में कानपुर में विकास दुबे नाम के एक बदमाश की पुलिस इनकाउंटर में मौत हो गई थी. उसने कथित तौर पर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. इसके बाद से राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में ब्राह्मण सुरक्षित नहीं हैं. राजनीतिक दलों ने ब्राह्णमों को रिझाने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करनी शुरू कर दीं. इसमें ब्राह्मणों के अराध्य माने जाने पर महर्षि परशुराम की ऊंची मूर्ती लगवाने और उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा प्रमुख थी. इसमें बसपा और सपा सबसे आगे थीं. बसपा ने तो ब्राह्मणों को अपनी ओर करने के लिए प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के नाम पर ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किए. इस तरह के सम्मेलन आयोजित करने में अन्य दल भी शामिल थे. बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव में ब्राह्मणों की नाराजगी उठाने के पक्ष में नहीं है, जिनकी प्रदेश में 10 फीसदी से अधिक की आबादी है. 


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