उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) अगले साल होने हैं. इसके लिए राजनीति दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Amit Shah) भी लगातार उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को हरदोई और सुल्तानपुर में बीजेपी की जन विश्वास रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बसपा (BSP) पर जमकर निशाना साधा. इन दोनों दलों पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने ABCD का प्रयोग किया. 


ABCD का मतलब क्या होता है


इस दौरान अमित शाह ने इन दोनों पार्टियों के लिए ABCD का मतलब समझाया. उन्होंने कहा कि इनके लिए A का मतलब होता है अपराध और आतंक, B का मतलब होता है, भाई भतीजाबाद, C का मतलब होता है करप्शन (भ्रष्टाचार) और D का मतलब होता है, दंगा. अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली और लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली डबल इंजन की सरकार ने सपा-बसपा के ABCD को विफल कर दिया है. 


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शाम होते होते समाजवादी पार्टी ने अमित शाह के इस हमले का जवाब भी दे दिया. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में कहा, '' हाथरस, लखीमपुर, गोरखपुर और आगरा की घटनाओं के बाद अब बीजेपी के समर्थक उसके खिलाफ खड़े होकर कह रहे हैं ABCD का मतलब होता है, अब भाजपा छोड़ दो.''






दलित वोटों की राजनीति कौन करता है


अमित शाह ने कहा कि अगर सपा, बसपा और कांग्रेस हाथ भी मिला लें तो आने वाले चुनावों में बीजेपी को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि जनता ने बीजेपी को 300 से अधिक सीटें देने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा, ''उत्तर प्रदेश में लोगों के पास दो विकल्प हैं, एक तरफ सपा, बसपा और कांग्रेस हैं जो भ्रष्टाचार, खराब शासन और दंगों की प्रतीक हैं और दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार है जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास और समृद्धि के लिए समर्पित है.''


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शाह ने कहा कि अतीत में चाहे सपा की सरकार रही हो या बसपा की, सबने एक खास जाति के लिए काम किया, जबकि बीजेपी की सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे के साथ सभी वर्गों के विकास के लिए काम किया है. शाह ने सपा, बसपा और कांग्रेस पर दलितों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान किया, वहीं सपा-बसपा को केवल चुनाव के समय ही आंबेडकर की याद आती है. केवल बीजेपी ही बाबा साहब का सम्मान करती है. वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस चुनाव नजदीक आता देख दलितों के वोटों के लिए बाबा साहब का नाम लेने लगती हैं.