UP Election 2022: बसपा सुप्रीमो मायावती आज मना रहीं हैं अपना जन्मदिन, पार्टी जारी कर सकती है प्रत्याशियों की पहली सूची
UP Election 2022: बसपा इस बार युवाओं पर दांव लगाएगी. इसके साथ ही जातीय समीकरण साधने में वो मुसलमान, अति पिछड़ों और ब्राह्मणों को प्राथमिकता देगी. इस बार बसपा अकेले के दम पर चुनाव मैदान में है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती का आज जन्मदिन है. बसपा उनके जन्मदिन को 'जन कल्याणकारी दिवस' के रूप में मनाएगी. मायावती अपने जन्मदिन पर लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगी. इस अवसर पर वो 'मेरे संघर्षमय जीवन व बसपा मूवमेंट का सफरनामा' के 17वें भाग और उसके अंग्रेजी संस्करण का विमोचन करेंगी. ऐसी संभावना है कि इस अवसर पर वो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी करें. बसपा इस बार बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर चुनाव लड़ रही है.
2022 के चुनाव में क्या है बसपा की रणनीति
दरअसल सोमवार को मायावती के घर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई थी. इसमें यह तय हुआ था कि मायावती के जन्मदिन 15 जनवरी को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी. इससे पहले रविवार को उन्होंने 403 विधानसभा सीटों के प्रभारियों की बैठक ली थी. इस बार पार्टी बिना गठबंधन के अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ रही है.
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माना जा रहा है कि बसपा इस बार युवाओं पर दांव लगाएगी. इसके साथ ही जातीय समीकरण साधने में वो मुसलमान, अति पिछड़ों और ब्राह्मणों को प्राथमिकता देगी. युवाओं को टिकट देने की बात बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं. दरअसल बसपा उम्मीदवारों के नाम से पहले विधानसभा प्रभारी का नाम घोषित करती है. उनके चुनाव प्रचार को देखते हुए ही उन्ही में से प्रत्याशी घोषित कर दिया जाता है.
दो नेताओं को दिए हैं टिकट
इससे पहले बसपा ने गुरुवार को कांग्रेस और रालोद छोड़कर आए दो नेताओं को पश्चिम उत्तर प्रदेश की दो सीटों से उम्मीदवार घोषित किया था. बसपा ने मुजफ्फरनगर जिले की चरथावल सीट से कांग्रेस छोड़कर आए सलमान सईद को उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं गंगोह सीट से राष्ट्रीय लोकदल छोडकर आए नोमान मसूद को उम्मीदवार बनाया गया है.
बसपा ने 2017 के चुनाव में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया था. प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा केवल 19 सीटें ही जीत पाई थी. लेकिन उसका वोट शेयर 44 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी से अधिक था. इसलिए इस बार के चुनाव में बसपा पर अपना प्रदर्शन सुधारने का भारी दबाव है. बसपा पिछले 10 साल से प्रदेश की सत्ता से बाहर है. इस बार बसपा का जोर अपने दलित वोट बैंक के साथ-साथ ब्राह्मणों, मुसलमानों और अति पिछड़ों को साधने पर ज्यादा है. अब उसका यह प्रयास कितना सफल हो पाता है यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे.
इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 7 चरणों में कराया जा रहा है. पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी, तीसरे चरण का मतदान 20 फरवरी, चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी, पांचवें चरण का मतदान 27 फरवरी, छठे चरण का मतदान 3 मार्च और 7वें व अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होगा.