बसपा (BSP) ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें आजमगढ़ की लालगंज सीट भी शामिल थी. यहां से संगीता आजाद जीती थीं. उन्होंने बीजेपी (BJP) की नीलम सोनकर को हराया था. इस लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. आइए जानते हैं कि लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों का गणित कैसा था.
बसपा ने बीजेपी को दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया था
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा की संगीता आजाद ने बीजेपी के नीलम सोनकर को 1 लाख 61 हजार 217 वोट के अंतर से हराया था. संगीता को 5 लाख 17 हजार 545 और नीलम को 3 लाख 56 हजार 328 वोट मिले थे. लालगंज लोकसभा सीट में अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई और लालगंज विधानसभा सीट आती है.
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अतरौलिया में बसपा की संतीता आजाद को 1 लाख 6 हजार 167, नीलम सोनकर को 92 हजार 863, कांग्रेस के पंकज मोहन सोनकर को 3 हजार 445 वोट मिले थे. वहीं निजामाबाद में बसपा को 1 लाख 7 हजार 191, बीजेपी को 52 हजार 325 और कांग्रेस को 2 हजार 692, फूलपुर पवई में बसपा को 1 लाख 3 हजार 3, बीजेपी को 58 हजार 875 और कांग्रेस को 3 हजार 246 वोट मिले थे. दीदारगंज में बसपा को 96 हजार 677, बीजेपी को 71 हजार 634 और कांग्रेस को 3 हजार 742 वोट मिले थे. वहीं लालगंज विधानसभा क्षेत्र में बसपा को 1 लाख 4 हजार 507, बीजेपी को 80 हजार 631 और कांग्रेस को 4 हजार 478 वोट मिले थे. इस तरह से बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 5 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी.
सपा और बसपा का गठबंधन टूटने का होगा असर?
अब वहीं अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो अतरौलिया में सपा के डॉक्टर संग्राम यादव, निजामाबाद में सपा के आलमबदी, फूलपुर पवई में बीजेपी के अरुन कुमार यादव, दीदारगंज में बसपा के सुखदेव राजभर और लालगंज में बसपा के आजाद अरिमर्दन ने जीत दर्ज की थी. लालगंज सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. विधानसभा चुनाव में ये सीटें सपा, बसपा और बीजेपी में बंट गई थीं. सपा-बसपा ने 2-2 और बीजेपी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी.
बसपा और सपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा था. इस चुनाव के बाद यह गठबंधन टूट गया था. गठबंधन तोड़ते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी का वोट तो सपा को ट्रांसफर हो गया. लेकिन सपा का वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ. अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियां अलग लड़ रही हैं. सपा ने ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से समझौता किया है. सुभासपा ने 2019 का चुनाव अकेले लड़ा था. उसके उम्मीदवार को करीब 18 हजार वोट मिले थे.